Shash Rajyog In Kundli: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे शक्तिशाली और क्रूर ग्रहों में से एक माना जाता है, क्योंकि वह जातकों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि को कर्म, न्याय,अनुशासन और परिश्रम, कष्ट और संघर्ष, मजदूर, श्रमिक, सेवा कार्य, तेल, कोयला, लोहा, खदानें, मशीनें, पेट्रोलियम, धातु उद्योग, भूमि, संपत्ति, अचल संपत्ति, राजनीति और प्रशासन से लेकर शारीरिक कष्टों का कारक माना जाता है। शनि सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है, जो एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। ऐसे में एक राशि चक्र पूरा करने में 30 साल का वक्त लग जाता है। ऐसे में जातकों को शनि साढ़े साती और ढैय्या का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर माना जाता है कि शनि सिर्फ दुष्प्रभाव देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपकी कुंडली मे शनि की स्थिति अच्छी होने के साथ ही कोई शुभ राजयोग बन रहा है, तो जातकों को सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि किसी न किसी ग्रह के साथ युति या फिर दृष्टि डालकर योगों का निर्माण करता है जिसका कुंडली में बनने से जातकों के जीवन में प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे ही अगर किसी जातक की कुंडली में शश राजयोग का निर्माण होता है, जो वह राजा की तरह जीवन बीताता है। आइए जानते हैं कुंडली में शश राजयोग कैसे बनता है और लाभ…
शश राजयोग क्या है?
ज्योतिष में पंच महापुरुषों में से एक शश राजयोग है। इस योग को शुभ राजयोगों में से एक माना जाता है। ये शनि ग्रह के कारण बनता है। जब शनि केंद्र भावों (1st, 4th, 7th या 10th भाव) में स्थित होता है या फिर अपनी स्वयं की राशि मकर, कुंभ) या फिर उच्च राशि तुला में बैठा होता है, तो शश राजयोग का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में ये राजयोग बनता है, तो वह राजा की तरह जीवन जीता है। वह अकूत धन, मान-सम्मान के साथ सत्ता पाता है।
कुंडली में शश राजयोग कब बनता है?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शनि का लग्न, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में हो या फिर शनि अपनी स्वराशि मकर, कुंभ में हो या फिर शनि अपनी उच्च रासि तुला में हो, तो इस पंचमहापुरुष राजयोग का निर्माण होता है। महर्षि पराशर ने इसे “महापुरुष योग” बताया है, जो व्यक्ति को धन, यश और राजसी वैभव प्रदान करता है।
शश राजयोग कब सबसे शक्तिशाली होता है?
जब शनि किसी राशि में अकेले बैठे हों और किसी अन्य ग्रह की युति या दृष्टि न हो। तब शश राजयोग काफी शक्तिशाली होता है। इसके अलावा शनि अस्त न हो या फिर शनि की युद्ध में पराजित न हो और लग्न, लग्नेश, सूर्य और चंद्रमा भी मजबूत हों। ऐसी स्थिति में शश राजयोग सबसे शक्तिशाली होता है। वहीं ये स्थिति उल्टी हो, तो शश राजयोग कमजोर हो जाता है।
कुंडली में शश राजयोग बनने के लाभ (Shash Rajyog Benefits)
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में शश राजयोग बनता है, तो वह हर क्षेत्र में अपार सफलता के साथ खूब प्रसिद्धि पाता है। राजनीति में सत्ता और नेतृत्व की प्राप्ति करता है। इसके अलावा व्यापार और उद्योग में बड़ी सफलता है खासकर ऑयल, मिनरल्स, मेटल्स, केमिकल और पेट्रोलियम से जुड़े क्षेत्रों में अधिक लाभ मिलता है। ऐसे लोग कर्मठता, अनुशासन और धैर्य से सफलता प्राप्त करते हैं।
- ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली होता है। यह लोग अपने आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से दूसरों पर असर डालते हैं।
- जिन जातकों की कुंडली में शश राजयोग बनता है, तो धीरे-धीरे अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करते हैं। इसके अलावा भूमि, भवन, वाहन और संपत्ति का सुख प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग अपने कर्म से करोड़पति या अरबपति बनने की क्षमता रखते हैं।
- शश राजयोग वाले जातक स्वभाव से अनुशासनप्रिय होते हैं। सरकारी पद से लेकर राजनीति तक में आगे रहते हैं। इनके अंदर नेतृत्व क्षमता बेहद मजबूत होती है।
- समाज में उच्च पद, लोकप्रियता और इज्जत मिलती है। दूसरों की मदद करने और न्यायप्रिय स्वभाव के कारण सम्मानित माने जाते हैं।
- शश राजयोग वाले जातकों का अध्यात्म और धर्म की ओर झुकाव बढ़ सकता है। ये लोग दान-पुण्य के कार्यों में रुचि रखते हैं और कर्म में विश्वास रखते हैं।
- जीवन के शुरुआती दौर में संघर्ष अधिक हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, सफलता, धन और स्थिरता सुनिश्चित होती है।
उदाहरणस्वरूप, अटल बिहारी वाजपेयी जी की कुंडली में शनि उच्च का था, इसलिए वे जनता के प्रिय नेता बने। इसी तरह उद्योगपति धीरूभाई अंबानी और मुकेश अंबानी की कुंडली में भी शनि अत्यंत शक्तिशाली था।
शश राजयोग को मजबूत करने के उपाय (Shani Dev Upay)
- शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
- जरूरतमंदों को दान करें, जैसे काले कपड़े, चमड़े की बेल्ट, तिल या सरसों का तेल। ऐसा करने से कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत होती है।
- शनिदेव की कृपा पाने के लिए शनि बीज मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
- शनिवार और मंगलवार के दिन श्री रुद्राभिषेक और हनुमान जी की पूजा करें।
- शनिदेव का रत्न नीलम धारण कर सकते हैं। धारण करने से पहले ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें।
सितंबर माह के पहले सप्ताह कई राजयोगों का निर्माण होने वाला है। इस सप्ताह सूर्य की बुध से सिंह राशि में युति हो रही है, जिससे त्रिग्रही के साथ बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस सप्ताह समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए ज्योतिषी सलोनी चौधरी से जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।