Sharidiya Navratri 2023 Kanya Pujan: नवरात्रि की नवमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन नवरात्रि समाप्त होती है। नवमी तिथि के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। मान्यता है जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर पूरी श्रद्धा से कन्या पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस बार नवमी तिथि 23 अक्टूबर यानी कि कल है। साथ ही इस दिन 2 विशेष योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं कन्या पूजन का विशेष महत्व और शुभ योग…
नवमी तिथि का आरंभ
वैदिक पंचांग के अनुसार महानवमी तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को रात में 8 बजे से हो रही है लेकिन 23 अक्टूबर को उदया तिथि में नवमी तिथि होने से महानवमी का कन्या पूजन सोमवार 23 अक्टूबर को ही किया जाएगा। वहीं अगर नवमी तिथि की बात करें तो 23 अक्टूबर के दिन शाम में 5 बजकर 46 मिनट तक नवमी तिथि रहेगी। वहीं इस दिन श्रवण नक्षत्र है। साथ ही चंद्रमा मकर राशि में संंचरण करेंगे और गुरु मेष राशि में रहेंगे। जिससे गजकेसरी योग बन रहा है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
पंचागं के मुताबिक कन्या पूजन 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से लेकर 7 बजकर 52 मिनट तक अमृत योग में कन्या पूजन करना शुभ रहेगा। वहीं इसके बाद सुबह 9 बजकर 15 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक शुभ योग में आप कन्या पूजन कर सकते हैं। इन दोनों योग में कन्या पूजन करना शुभ फलदायी रहेगा।
कन्या पूजन के नियम
अगर आप कन्या पूजन कर रहे हैं तो सबसे पहले कन्याओं को आमंत्रण देकर आंए। साथ ही 2 से 10 साप तक की कन्याओं को ही आमंत्रण दें। क्योंकि दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं। साथ ही तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में पूजी जाती है और त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है। वहीं चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है और इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है। इसके साथ ही पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती ह और रोहिणी को पूजने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है और कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
वहीं सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका माना जाता है और चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य- धन की प्राप्ति होती है। वहीं आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है और इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है। वहीं नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा का रूप माना जाता है। साथ ही इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है। वहीं दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है और सुभद्रा अपने भक्तों के सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। वहीं कन्या भोजन के दिन प्याज और लहसुन का खाना नहीं बनाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से मां दुर्गा नाराज हो सकती हैं।