Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना और आस्था का बड़ा त्योहार माना जाता है। पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का समापन कन्या पूजन से होता है। परंपरा के अनुसार अष्टमी और नवमी तिथि को नौ छोटी कन्याओं और एक बालक को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इसे ही कन्या पूजन या कन्या भोज कहा जाता है। माना जाता है कि कन्याओं में मां दुर्गा का स्वरूप विद्यमान होता है और उन्हें भोजन कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। आपको बता दें कि इस बार 1 अक्टूबर को कन्या पूजन किया जाएगा। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि कुछ खास स्थितियों में कन्या पूजन करने से बचना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं वे तीन स्थितियां जिनमें कन्या पूजन नहीं करना चाहिए।
घर में मृत्यु होने पर
अगर घर-परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उस समय घर में मृत्यु सूतक लगता है। सूतक काल में घर को अशुद्ध माना जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ या धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। नवरात्रि में चाहे व्रत चल रहे हों, लेकिन अगर घर में किसी की मृत्यु हो गई हो तो कन्या पूजन नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि जब तक शुद्धिकरण और हवन आदि न हो जाएं, तब तक पूजा-पाठ और कन्या पूजन से दूर रहना चाहिए।
घर में जन्म होने पर भी नहीं करें कन्या पूजन
जैसे मृत्यु के बाद मृत्यु सूतक लगता है, वैसे ही बच्चे के जन्म पर जन्म सूतक लगता है। परिवार में नए शिशु के जन्म के बाद कुछ समय तक पूजा-पाठ वर्जित माने जाते हैं। इस दौरान धार्मिक कार्य करने से बचना चाहिए। जब तक शुद्धिकरण संस्कार और हवन आदि न कर लिए जाएं, तब तक कन्या पूजन या कोई बड़ा पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए।
मासिक धर्म के दौरान कन्या पूजन न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में व्रत-पूजा या कोई भी धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए। अगर नवरात्रि के व्रत के बीच महिलाओं को पीरियड्स शुरू हो जाएं तो वे कन्या पूजन से दूर रहें। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने या कन्या भोज कराने की मनाही होती है।
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