How to do Maa Durga Aarti During Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के पावन दिनों में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्त पूरे नौ दिन देवी दुर्गा की साधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी पूजा को तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है जब तक अंत में आरती न की जाए। आरती पूजा का अभिन्न हिस्सा है। धार्मिक मान्यता है कि जिस घर में नियमित रूप से पूजा के बाद आरती होती है, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। ऐसे में यदि आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो नवरात्रि के 9 दिनों में देवी पूजा के दौरान माता की आरती विधिपूर्वक जरूर करें। माना जाता है कि सही नियम और विधि से आरती करने से ही पूजा का लाभ मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं दुर्गा आरती से जुड़े जरूरी नियम क्या है…
आरती का महत्व
आरती को भगवान और भक्त के बीच संबंध को मजबूत करने वाला माध्यम माना जाता है। यह न सिर्फ पूजा का समापन है बल्कि आरती के जरिए भक्त अपनी भावनाएं और आस्था देवी तक पहुंचाते हैं। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की आरती करने से साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सौभाग्य, शक्ति और शांति बनी रहती है।
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की आरती कैसे करें?
- हिंदू मान्यता के अनुसार, देवी की आरती हमेशा खड़े होकर ही करना चाहिए।
- आरती शुरू करने से पहले एक थाली में दीपक, पुष्प, अक्षत, कपूर, धूप और बाती जरूर रखें।
- यदि संभव हो तो पांच बाती वाला दीपक जलाकर आरती करें, अन्यथा एक बाती का दीपक भी पर्याप्त होता है।
- शक्ति की साधना में लाल बाती का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की आरती के समय लाल रंग की बाती का अवश्य प्रयोग करें।
- आरती करते समय दीपक को सही क्रम में घुमाना जरूरी है।
- सबसे पहले दीपक पर से जल उतारकर आरती शुरू करें।
- दीपक को चार बार माता के चरणों में, दो बार नाभि के सामने, एक बार मुख के सामने और अंत में पूरे शरीर के सामने सात बार घुमाना चाहिए।
- आरती पूर्ण होने के बाद दीपक को फिर से पवित्र जल से उतार लें।
- इसके बाद देवी को पुष्प, अक्षत आदि अर्पित कर प्रणाम करें।
- आरती के पूरी होने के बाद दीपक की ज्योति को दोनों हाथों से माथे पर लगाकर देवी का स्मरण करें।
- आखिरी में भूल-चूक के लिए देवी से क्षमा मांगनी चाहिए और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माता से आशीर्वाद मांगें।
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