Navratri Day 8: देवी भागवत पुराण के अनुसार शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व बताया गया है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन किया जाता है। वहीं पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है जिन्हें माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, इसके साथ ही एक बटुक भी कन्याओं के साथ होना चाहिए जो भैरव का रूप माना जाता है। मान्यता है जो भी भक्त विधि-विधान से माता की पूजा आराधना करते हैं और कुमारी कन्याओं का पूजन करते हैं उन पर माता की विशेष कृपा रहती है आपको बता दें कि नवरात्रि में अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप माहागौरी की पूजा की जाती है। इस साल महाअष्टमी 30 अक्टूबर यानी कि आज है। वहीं इस दिन शोभन योग भी बन रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं अष्टमी तिथि, कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और मंत्र…
महाअष्टमी तिथि 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 29 सितंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 30 सितंबर को शाम 06 बजकर 06 मिनट समाप्त होगी। इसलिए अष्टमी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
अष्टमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
प्रातः सन्ध्या – सुबह 5 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
मां प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जप करें
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माता महागौरी का ध्यान
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥