Shardiya Navratri 2025, Maa Katyayani ki Puja Vidhi, Bhog, Mantra: आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। आज मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। दरअसल दो दिन तृतीया तिथि होने के कारण मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिन की गई। इसलिए आज मां दुर्गा के छठे अवतार की पूजा की जाएगी। शास्त्रों में वर्णित है कि मां कात्यायनी की आराधना करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दैदीप्यमान है। इनके चार भुजाएं हैं। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प शोभायमान है। दाईं ओर की ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को निर्भयता का आशीर्वाद देती है। नीचे वाली दाहिनी भुजा वर मुद्रा में है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। ऐसे में आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, भोग, मंत्र और उनके स्वरूप के बारे में…

मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani ki Puja Vidhi)

कात्यायनी मां की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र पहन लें
पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करें
मंदिर में मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
घी का दीपक जलाकर कात्यायनी मां को रोली, अक्षत, धूप और पीले फूल अर्पित करें
इसके बाद मां कात्यायनी को भोग लगाएं
मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें.
अंत में मां की आरती उतारें और परिवार में मां का प्रसाद बाटें

मां कात्यायनी का प्रिय भोग (Maa Katyayani ka Bhog)

मां कात्यायनी को शहद और पीला रंग अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए पूजा में उनको शहद से बने पीले रंग के हलवे का भोग चढ़ाना शुभ फलदायी होता है।

मां कात्यायनी का शुभ रंग (Maa Katyayani ka Shubh Rang)

माता कात्यायनी को पीला रंग बेहद प्रिय है। ऐसे में इस दिन आप पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा कर सकते हैं।

मां कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani ki Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती जगदम्बा की कठोर तपस्या की थी. उनकी इस तपस्या से मां इतनी खुश हुईं कि उन्होंने महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री बनकर जन्म लेने का वरदान दिया. मां जगदम्बा ने महर्षि के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया, जिसके बाद वे मां कात्यायनी कहलाईं. माना जाता है कि मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त कराया था, इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है.

मां कात्यायनी मंत्र (Maa Katyayani ka Mantra)

कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कात्यायनी कवच (Maa Katyayani Kavach)

कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥

मां कात्यायनी स्तोत्र पाठ (Maa Katyayani Srotra)

कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोच्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्मा परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥

मां कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Ki Aarti)

जय जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहां वरदाती नाम पुकारा

कई नाम हैं कई धाम हैं
यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते
हर मन्दिर में भगत हैं कहते

कात्यायनी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली

बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिये

हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को भक्त पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे

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