Shardiya Navratri 3rd Day, Maa Chandraghanta Puja Vidhi, Aarti In Hindi: Maa Chandraghanta Puja Vidhi Aarti Bhog Timings: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हो गई है। वहीं नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है। चंद्रघंटा का अर्थ है, ‘जिसके सिर पर अर्ध चंद्र घंटे के रूप में शोभित है’, दुर्गा सप्तशती के अनुसार यह चंद्रमा शीतलता और शुभ्र प्रकाश का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मां के इस स्वरूप के दस हाथ माने गए हैं और ये खड्ग आदि विभिन्न अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं।आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की आरती, पूजा- विधि और मंत्र…
मां चंद्रघंटा का भोग ( Maa Chandraghanta Bhog)
शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गाके तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को केसर-दूध से बनी मिठाइयों, शहद या खीर का भोग लगाएं। इससे वह अति प्रसन्न होती है और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। साथ ही माता को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए पूजा के समय लाल रंग के कपड़े पहनें।
मां चंद्रघंटा का ध्यान मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
अर्थात् श्रेष्ठ सिंह पर सवार और चंडकादि अस्त्र शस्त्र से युक्त मां चंद्रघंटा मुझ पर अपनी कृपा करें।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
जानिए पूजा- विधि
ज के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें । इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा लें। क्योंकि चंद्रघंटा माता को लाल रंग बहुत प्रिय है। इसके बाद चंद्रघंटा माता की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। अगर चंद्रघंटा माता की तस्वीर नहीं है तो दुर्गा मां की तस्वीर रख सकते हैं। इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें। आप देवी मां को चमेली का पुष्प अथवा कोई भी लाल फूल अर्पित करें। साथ ही अंत में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और आरती गाएं। वहीं ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। मतलब जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल ग्रह नकारात्मक स्थिति में विराजमान हो, वो लोग विशेषकर मां चंद्रघंटा की पूजा करें।
मां चंद्रघंटा की आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥
मां चंद्रघंटा के मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥