शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं और इन 9 दिनों में मा दुर्गा के अलग- अलग स्वरूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही मान्यता है कि मां दुर्गा भक्तों से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं, जिससे जीवन में सुख- समृद्धि आती है। वहीं यहां हम आपको ऐसी स्तुति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पाठ अगर प्रतिदिन किया जाए तो व्यक्ति को धन, यश, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस स्त्रोत के पाठ से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इस स्त्रोत की रचना महर्षि व्यास ने की थी। आइए जानते हैं इस स्त्रोत के बारे में…
पाठ करने का नियम
इस स्त्रोत का पाठ प्रतिपदा से आरंभ होता है और इसका समापन नवमी तिथि को होता है। साथ ही अगर प्रथम दिन से इस स्त्रोत का पाठ शुरू नहीं कर पाएं तो नवरात्रि के किसी भी दिन से इस पाठ का आरंभ कर सकते हैं। इसके लिए मां दुर्गा का एक चित्र या मूर्ति पूजा की चौकी पर स्थापित करें। हीं चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें। फिर धूप और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद स्त्रोत करने का संकल्प लें। फिर कुंजिका स्त्रोत का पाठ आरंभ करें।
यह है मंगलकारी स्त्रोत
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
शारदीय नवरात्रि कैलेंडर 2023
15 अक्टूबर 2023 – पहला दिन, घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
16 अक्टूबर 2023 – दूसरा दिन, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
17 अक्टूबर 2023 – तीसरा दिन, मां चंद्रघंटा की पूजा
18 अक्टूबर 2023 -चौथा दिन, मां कूष्मांडा की पूजा
19 अक्टूबर 2023 – पांचवा दिन, मां स्कंदमाता की पूजा
20 अक्टूबर 2023 – छठा दिन, मां कात्यायनी की पूजा
21 अक्टूबर 2023 – सातवां दिन, मां कालरात्रि की पूजा
22 अक्टूबर 2023 – आठवां दिन, मां सिद्धिदात्री की पूजा
23 अक्टूबर 2023 – नवां दिन, मां महागौरी की पूजा नवरात्रि व्रत पारण
24 अक्टूबर 202- विजयादशमी, दशहरा