शनि हमारे सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, जिसके साथ अपने स्वयं के 50+ उपग्रह हैं। वैदिक ज्योतिष और जीरो अंक ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार, शनि देव सभी के जीवन में एक प्रमुख ग्रह है जो काल पुरुष कुंडली के 10 वें घर और 11 वें घर को नियंत्रित करता है। मुंडेन ज्योतिष में, शनि बड़े पैमाने पर लोकतंत्र, जनता और जनता के कल्याण के लिए जिम्मेदार है।

5 जून को शनि अपनी ही राशि कुंभ राशि में वक्री हो चुके हैं, जहां 12 जुलाई तक रहेंगे। 12 जुलाई को शनि मकर राशि में गोचर करेंगे और अगले कुछ महीनों तक वक्री गति में मकर राशि में रहेंगे।

जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में दिल्ली के न्यूमेरोलॉजिस्ट सिद्धार्थ एस कुमार ने बताया कि शनि देव की ये वक्री गति हर व्यक्ति के लिए स्वमूलयांकन का वक्त हैं और व्यक्ति को इस समय पूरी जिम्मेदारी के साथ खुद का मूलयांकन करना चाहिए और मूल्यांकन के आधार पर अपने जीवन शैली में परिवर्तन भी करना चाहिए।

शनि देव का शुभ परिणाम

न्यूमेरोलॉजिस्ट सिद्धार्थ एस कुमार ने बताया कि शनि देव का ये गोचर मेष, वृश्चिक, धनु और कुम्भ राशि के लिए शुभ फल प्रदान करने वाला होगा। इन राशियों के जातक को उनके मेहनत का परिणाम मिलेगा।

शनि देव का अशुभ परिणाम

न्यूमेरोलॉजिस्ट सिद्धार्थ एस कुमार के मुताबिक शनि देव का ये गोचर कर्क और मीन राशि के लिए अशुभ फल दायक होगा। इन राशियों के जातक को अपने मेहनत का फल मिलने में संगर्ष की जरुरत होगी अन्य राशियों के जातक के लिए ये समय मिला जुला रहने वाला हैं।

क्या खास हैं इस शनि के वक्री गति का

शनि देव की ये 141 दिन की वक्री गति अपने ही राशियों में बहुत खास हैं; क्योंकि इस गति के समय राहु देव भरनी नक्षत्र में रहेंगे जो शनि देव के स्वमूलयांकन के समय को और बल प्रदान करेंगे। यह गोचर और ग्रहों का आपसी संबंध हर व्यक्ति के जीवन में कुछ बड़ा परिवर्तन लाने वाला हैं।

कैसे करें शनि देव को प्रसन्न

सिद्धार्थ एस कुमार ने बताया की शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए व्यक्ति को छोटे छोटे कर्म के जरिये उन्हें खुश करना चाहिए:

  • जातक अपने नहाने के पानी में नागरमोथा पाउडर मिला कर नहाएं।
  • वृद्धाश्रम में जाकर श्रम दान करना चाहिए।
  • भगवान महादेव का हर शनिवार अभिषेक करना चाहिए।
  • शनि पुरुष यंत्र को घर के मंदिर में रख कर उसका विधि विधान से पूजा करना चाहिए।
  • कालभैरवाष्टकं का नित 11 पाठ करना चाहिए।