ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रहों का अध्ययन किया जाता है लेकिन इन सभी ग्रहों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण शनि ग्रह को माना गया है। न्याय के देवता शनिदेव सबसे धीमी चाल से चलते हैं, जिसके कारण यह ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। जब भी शनि देव वक्री या फिर मार्गी अवस्था में आते हैं तो सभी राशि के जातकों पर अलग-अलग तरह का प्रभाव पड़ता है। बता दें कि 11 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर शनि ग्रह मकर राशि में मार्गी हो जाएंगे।

मार्गी स्थिति का अर्थ है कि जब कोई ग्रह वक्री स्थिति (उलटी चाल) से सीधी दिशा में हो जाता है या फिर सीधी गति में चलने लगता है तो इसे मार्गी कहा जाता है। फिलहाल शनि मकर राशि में वक्री स्थिति में थे लेकिन अब वह अपनी सीधी स्थिति में वापस लौट रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि की वक्री स्थिति के दौरान जिन लोगों पर साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है, उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि ग्रह के मार्गी होने पर उनके जीवन में थोड़ा सुकून और राहत आती है, साथ ही कुछ राशि के जातकों के लिए शनि की मार्गी स्थिति शुभ फल लेकर आती है।

वर्तमान समय में धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़े साती और मिथुन राशि और तुला राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। ऐसे में मुमकिन है कि इन राशियों पर शनि के मार्गी होने का अधिक प्रभाव पड़े। वैसे तो ज्यादातर लोग शनि को क्रूर ग्रह मानते हैं लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनिदेव लोगों के उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे हैं तो उन्हें साढ़े साती और ढैय्या के दौरान शुभ फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं हैं, उन्हें शनि देव दंड देते हैं। उन्हें आर्थिक संकट के साथ-साथ शारिरिक समस्याएं से भी जूझना पड़ता है। 11 अक्टूबर को शनि के मार्गी होने के बाद 29 अप्रैल 2022 में एक बार फिर से शनि का राशि परिवर्तन होगा। इस दौरान धनु राशि पर चल रही साढ़ेसाती खत्म हो जाएगी।