Saturn Retrograde (Shani Vakri) 2021: कर्म फलदाता शनि देव की वक्री चाल ज्योतिष अनुसार काफी अहम मानी जाती है। शनि 23 मई 2021 को मकर राशि में वक्री होने जा रहे हैं। यानी इस दिन से शनि अपनी स्वराशि में उल्टी चाल चलने लगेंगे और फिर 11 अक्टूबर को पुन: मार्गी होंगे। आमतौर पर देखा जाता है कि शनि अपनी वक्री अवस्था में कार्यों को देरी से पूरा करवाते हैं। यदि वक्री शनि आपकी कुंडली में शुभ है तो ये कार्य क्षेत्र में तरक्की का कारक भी बनते हैं।
शनि की उल्टी चाल से किनके बढ़ेंगे कष्ट? शनि की वक्री चाल मकर और कुंभ राशि वालों को सबसे अधिक प्रभावित करेगी। दोनों ही राशियों में शनि की साढ़े साती चल रही है। मकर में खुद शनि विराजमान हैं। ऐसे में इन राशियों के जातकों को हर काम में सावधान रहने की जरूरत है। कुछ भी गलत कार्य न करें। किसी नए कार्य का प्रारंभ इस दौरान न करें। जरूरतमंदों की सहायता करें। अपने से बड़ों का सम्मान करें। वाहन चलाते समय सावधानी बरतें। ध्यान रखें कि यदि शनि आपकी कुंडली में शुभ अवस्था में विराजमान हैं तो आपको शनि की उल्टी चाल फायदा भी पहुंचा सकती है।
वक्री शनि का अन्य राशियों पर प्रभाव: मेष राशि में शनि देव नीच के हो जाते हैं। तो शनि की उल्टी चाल से आपके कष्ट कुछ बढ़ सकते हैं। वहीं तुला राशि में ये उच्च के माने जाते हैं। इसलिए तुला राशि वालों को वक्री शनि से सकारात्मक फल प्राप्त होने के आसार हैं। मिथुन वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है आपको शनि की ये चाल कुछ कष्ट दे सकती है। धनु वालों पर शनि साढ़े साती का अंतिम चरण है शनि की वक्री चाल आपके लिए सामान्य रहेगी। वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक और मीन जातकों के लिए वक्री शनि का प्रभाव मिला-जुला रहेगा।
जानिए किन राशियों पर है शनि साढ़े साती और ढैय्या? मिथुन राशि और तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है। वहीं धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। धनु वालों पर शनि साढ़े साती अपने अंतिम चरण पर है, धनु वालों पर दूसरा चरण और कुंभ वालों पर पहला चरण चल रहा है। शनि ग्रह एक राशि चक्र 30 वर्षों में पूर्ण करता है। यह सबसे लंबे समय तक एक राशि में ही स्थित रहने वाला ग्रह है।
शनि ग्रह का वक्री होना: शनि ग्रह के वक्री होने का मतलब है कि जब यह अपने परिक्रमण पथ पर आगे की ओर न बढ़कर पीछे की ओर चलने लगे तो इसे शनि की वक्री चाल माना जाता है। हालांकि वास्तव में ये ग्रह उल्टा नहीं चलता बल्कि ऐसा सिर्फ प्रतीत होता है। शनि अपनी वक्री अवस्था में व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और अपनी गलतियों में सुधार करने का अवसर देते हैं। यदि किसी की जन्म कुंडली में शनि वक्री अवस्था में विद्यमान होकर शुभ फल कारक ग्रह हैं तो शनि की वक्री चाल से शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। लेकिन यदि अशुभ होकर शनि वक्री हो रहे हैं तो अशुभ परिणाम भी तुरंत देखने को मिल जाते हैं। यदि आप कोई नया कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं तो शनि वक्री के दौरान ऐसा करने से बचें क्योंकि आपको अत्याधिक मेहनत करनी पड़ेगी।