Sawan 2024 Triyuginarayan Temple: देवों के देव महादेव को सावन माह अति प्रिय माना जाता है। इस माह के दौरान भगवान शिव के साथ मनाता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस महीने से सोलह सोमवार का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें समाप्त हो जाती है। इसके साथ ही कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। मान्यता है सावन माह के दौरान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने से हर एक दुख दूर हो जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही शिव मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे ही हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहा है, जहां को लेकर माना जाता है कि इस मंदिर में मां पार्वती और शिव जी ने भगवान विष्णु, ब्रह्मा के साथ अन्य ऋषि-मुनियों के सामने विवाह किया था। ये मंदिर उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण मंदिर के नाम से जाना है। यह मंदिर भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी और सरस्वती जी का है। आइए जानते हैं त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में सबकुछ…
त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था शिव-पार्वती जी का विवाह
त्रियुगीनारायण मंदिर को अखंड धूनी, त्रिजुगीनारायण आदि नामों से जाना जाता है। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है। इस स्थान में विष्णु जी की करीब 2 फुट ऊंची मूर्ति स्थिति है। किदवंतियों के अनुसार, कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव मां पार्वती से विवाह करने के लिए मान गए थे। ऐसे में इस स्थान पर मां पार्वती और भगवान शिव ने अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए थे। ये अग्नि अब भी प्रज्वलित है। इस विवाह समारोह में मां पार्वती के भाई विष्णु जी बने थे। इसके साथ ही भगवान ब्रह्मा से स्वयं पुजारी का काम किया था। भगवान विष्णु ने भाई के रूप में हर कार्य किए थे। मंदिर के सामने ब्रह्म शिला नामक एक पत्थर को दिव्य विवाह का सटीक स्थान माना जाता है।
आज भी जल रही अनंत अग्नि
त्रियुगीनारायण मंदिर वह पवित्र स्थान है, जहां कई युगों के बाद आज भी वह पवित्र अग्नि जल रही है, जिसे साक्षी मानकर शिव-पार्वती ने फेरे लिए थे। इस पवित्र अग्नि को अखंड धूनी भी कहा जाता है।
मंदिर में मौजूद हैं कई पवित्र कुंड
त्रियुगीनारायण मंदिर में की कुंड मौजूद है और हर एक का अपना-अपना महत्व है। इन कुंड को ब्रह्मा कुंड, विष्णु कुंड, रुद्र कुंड और सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है।
त्रियुगीनारायण मंदिर में आप भी कर सकते हैं विवाह
त्रियुगीनारायण मंदिर में हर साल कई पारंपरिक तरीके से विवाह भी किए जाते हैं। अगर आप भी इस मंदिर में विवाह करना चाहते हैं, तो आपको पहले विवाह के विए बुकिंग करानी पड़ती है। इस मंदिर में बुकिंग के लिए लड़का और लड़की का आधार कार्ड लगता है। इसके साथ ही ये विवाह तभी संपन्न होता है जब दोनों पक्षों के माता-पिता सहमत हो। खर्च की बात करें, तोत्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह की लागत कम से कम 50 हजार तक हो सकती है। हालांकि विवाह की बुकिंग की लागत, नियोजित विवाह के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकती है।
त्रियुगीनारायण मंदिर में विवाह के लिए सबसे अच्छा समय
वैसे तो आप मुहूर्त के हिसाब से विवाह कर सकते हैं। लेकिन त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी की योजना बना रहे हैं, तो अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।