Sarva Pitru Amavasya 2025: वैदिक पंचांग के मुताबिक पितृ अमावस्या हर साल आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इसको महालया अमावस्या भी कहा जाता हैं। इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने का विधान है। वहीं ये दिन बहुत खास माना जाता है, क्योंकि अगर आपने अभी तक अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किया या उनकी श्राद्ध तारीख पता नहीं है तो आप इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं। इस साल पितृ अमावस्या 21 सितंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं तिथि और तर्पण करने का शुभ मुहूर्त…
सर्व पितृ अमावस्या तिथि 2025 ( Kab hai Sarva Pitru Amavasya 2025)
पंचांग के मुताबिक आश्विन माह की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 सितंबर, को रात 12 बजकर 15 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 22 सितंबर को देर रात 1 बजकर 24 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या रविवार, 21 सितंबर को मनाई जाएगी।
सर्व पितृ अमावस्या तर्पण का समय
अपराह्न काल – दोपहर 01:27 – दोपहर 03:53
कुतुप मूहूर्त – सुबह 11:50- दोपह 12:38
रौहिण मूहूर्त – दोपहर 12:38 – दोपहर 01:27
तर्पण के लिए करें इस मंत्र का जप
‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
पितृ गायत्री मंत्र का करें जप
तर्पण करते समय पितृ गायत्री मंत्र का जप जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। साथ ही सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ गायत्री मंत्र : ओऊम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
सर्व पितृ अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन पितरों की विदाई की जाती है। इसलिए इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। वहीं इस दिन पितृ दोष शांति कराने का विधान है। वहीं इस दिन अपने पूर्वजों के नाम से पिंड दान और तर्पण किया जाता है। साथ ही उनके निमित्त ब्राह्राण भोज कराया जाता है। जिससे वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करें। मान्यता है कि इस तिथि पर पितृ पुनः पितृ लोक को जाते हैं। वहीं आपको बता देंं कि पितरों का श्राद्ध करने के बाद गाय, कौआ, कुत्ते और चींटी जैसे जीवों को भी भोजन का एक अंश अर्पित करें। इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।