Sabarimala Mandir History: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच फैसला नहीं दे सकी। अब ये मामला 7 जजों की बेंच को सौंप दिया गया है। आपको बता दें कि ये मंदिर लगभग 800 साल पुराना माना जाता है और इसमें महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद भी दशकों पुराना है। इसे लेकर ये मान्यता है कि भगवान अयप्पा नित्य ब्रह्मचारी माने जाते हैं। जिसकी वजह से इस मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं का आना वर्जित है। भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए 41 दिन पहले से तैयारी करनी होती है। इस प्रक्रिया को मंडल व्रतम कहा जाता है। मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते समय सिर पर पल्लिकेट्टू होना अनिवार्य है। पल्लिकेट्टू एक छोटा झोलेनुमा कपड़ा होता है, जिसमें गुड़, नारियल और चावल इत्यादि प्रसाद का सामान होता है।

सबरीमाला मंदिर का इतिहास (Sabrimala Temple History) :

ये मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां बड़ी संख्या में लोग हर दिन दर्शन के लिए आते हैं। ये मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किमी की दूरी पर मौजूद है। जो समुद्रतल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है, जहां हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। धार्मिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भोलेनाथ भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए थे और इसी के प्रभाव से एक बच्चे का जन्म हुआ। इनका पालन 12 सालों तक राजा राजशेखरा ने किया। अयप्पा ने ही राक्षसी महिषि का भी वध किया था।

मंदिर में दर्शन करने का महत्व: मान्यता है कि अगर यहां आने वाले श्रद्धालु तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, उपवास रखकर और सिर पर नैवेद्य  (भगवान को चढ़ाए जाने वाला प्रसाद) लेकर दर्शन के लिए आते हैं तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

Live Blog

11:00 (IST)14 Nov 2019
SC Verdict: सबरीमाला में महिलाएं प्रवेश करें या न करें, फैसला 7 जजों की बेंच करेगी

सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच भी फैसला नहीं ले पाई अब ये मामला 7 चचों की बेंच के पास जाएगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू करना है या नहीं इसका फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया है। अब 16 नवंबर से शुरू होने वाले वार्षिक तीर्थ यात्रा के लिए महिलाओं को इजाजत दें या न दें इसका फैसला केरल सरकार करेगी।

08:30 (IST)14 Nov 2019
सबरीमाला मंदिर 18 पहाड़ियों से घिरा है

सबरीमाला मंदिर केरल (Kerala) में पथनमथिट्टा (Pathanamthitta) जिले के पश्चिमी घाटी पर संरक्षित वनक्षेत्र में स्थित है। पहाड़ों पर स्थित इस धार्मिक स्थल के द्वार 16 नवंबर की शाम को दो महीने के लिए खुल जाएंगे। यहां दो महीने तक मंडलम मकराविलाक्कू तीर्थ यात्रा चलेगी। यह मंदिर 18 पहाड़ियों से घिरे समुद्र तल से 1,574 फीट की उंचाई पर स्थित है।

07:58 (IST)14 Nov 2019
16 नवंबर से शुरू हो रहा वार्षिक तीर्थ

सुप्रीम कोर्ट का फैसला केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) के लिए बेहद अहम होगा। इसकी मुख्य वजह ये है कि तीन दिन बाद सबरीमाला में वार्षिक तीर्थयात्रा शुरू होने रही है। इसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। अब ऐसे में क्या महिलाएं भी प्रवेश करेंगी या नहीं ये आज तय होगा।

17:08 (IST)13 Nov 2019
अय्यप्पा कौन थे?

अय्यप्पा के बारे में किंवदंति है कि उनके माता-पिता ने उनकी गर्दन के चारों ओर एक घंटी बांधकर उन्हें छोड़ दिया था। पंडालम के राजा राजशेखर ने अय्यप्पा को पुत्र के रूप में पाला। लेकिन भगवान अय्यप्पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और उन्हें वैराग्य प्राप्त हुआ तो वे महल छोड़कर चले गए। कुछ पुराणों में अयप्पा स्वामी को शास्ता का अवतार माना जाता है।

16:38 (IST)13 Nov 2019
अय्यप्पा से जुड़ी कहानी:

केरल में भगवान अय्यप्पा का यह मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इस मंदिर को मक्का-मदीना की तरह विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। यहां विराजते हैं भगवान अय्यप्पा। अय्यप्पा का एक नाम 'हरिहरपुत्र' है. हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव के पुत्र। हरि के मोहनी रूप को ही अय्यप्पा की मां माना जाता है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है। जी हां, वही रामायण वाली शबरी जिसने भगवान राम को जूठे फल खिलाए थे और राम ने उसे नवधा-भक्ति का उपदेश दिया था।

16:06 (IST)13 Nov 2019
देश की सर्वोच्च अदालत ने सबरीमाला मंदिर पर ये दिया था फैसला:

देश की सर्वोच्च अदालत की संवैधानिक पीठ ने केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को गलत माना था। पीठ का कहना था कि मंदिर एक पब्लिक प्लेस है और हमारे देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है। यह पब्लिक प्लेस है और सार्वजनिक जगह पर यदि पुरुष जा सकते हैं तो महिलाओं को भी प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए।

15:44 (IST)13 Nov 2019
वैष्ण्वों और शैवों के बीच एकता का प्रतीक सबरीमाला मंदिर:

कई शताब्दियों से सबरीमाला तीर्थस्थल पूरे भारत खासतौर से दक्षिण भारत के राज्यों के लाखों लोगों को आकर्षित करता रहा है। यहां सबसे पहले भगवान अय्यप्पा के दर्शन होते हैं, जिन्हें धर्म सृष्टा के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें वैष्ण्वों और शैवों के बीच एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। 

15:09 (IST)13 Nov 2019
मंदिर में अलग तरीके से किये जाते हैं दर्शन:

इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु सिर पर पोटली रखकर पहुंचते हैं। वह पोटली नैवेद्य (भगवान को चढ़ाई जानी वाली चीजें, जिन्हें प्रसाद के तौर पर पुजारी घर ले जाने को देते हैं) से भरी होती है। यहां मान्यता है कि तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर और सिर पर नैवेद्य रखकर जो भी व्यक्ति आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

14:52 (IST)13 Nov 2019
सबरीमाला की 18 पावन सीढ़ियां:

 
चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ यह मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से 175 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है, जिनके अलग-अलग अर्थ भी बताए गए हैं। पहली पांच सीढ़ियों को मनुष्य की पांच इन्द्रियों से जोड़ा जाता है। इसके बाद वाली 8 सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। अगली तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और आखिर दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

14:34 (IST)13 Nov 2019
अयप्पा स्वामी का चमत्कारिक मंदिर :

केरल के शबरीमाला में ये मंदिर मौजूद है। दूसरे हिंदू मंदिरों की तरह ये मंदिर पूरे साल नहीं खुला रहता। मलयालम पंचांग के पहले पांच दिन और अप्रैल में इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं। यहां हर साल 14 जनवरी को ‘मकर विलक्कू’ और 15 नवंबर को ‘मंडलम’ उत्सव माना जाता है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। मंदिर में काले और नीले कपड़ों में ही प्रवेश किया जा सकता है। मकर संक्रांति के दिन यहां घने अंधेरे में एक ज्योति नजर आती है जिसे देखने के लिए ही उस दिन भारी संख्या में लोग यहां एकत्र होते हैं। लोगों का मानना है कि ये ज्योत भगवान द्वारा जलाई गई है। भगवान राम को झूठे बेर खिलाने वाली सबरी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम सबरीमाला पड़ा।

14:06 (IST)13 Nov 2019
सबरीमाला मंदिर का नाम कैसे पड़ा:

सबरीमाला में अयप्पा स्वामी का मंदिर है। मकर सक्रांति के दिन यहां घने अंधेरे में एक ज्योत नज़र आती है जिसे देखने के लिए उस दिन यहां भारी भीड़ एकत्र होती है। ज्योति के साथ शोर भी सुनाई देता है। लोग मानते हैं कि यह भगवान द्वारा जलाई गई ज्योत है। भगवान राम को जूठे बेर खिलाने वाली सबरी के नाम पर मंदिर का नाम सबरीमाला रखा गया।

13:43 (IST)13 Nov 2019
Sabarimala Temple Darshan: सबरीमाला मंदिर में ऐसे किये जाते हैं दर्शन:

भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए 41 दिन पहले से तैयारी करनी होती है। 41 दिनों की इस प्रक्रिया को मंडल व्रतम कहा जाता है। इसमें श्रद्धालुओं को रोज़ाना दो बार नहाना होता है, इस दौरान सेक्स नहीं करना होता है, मांस खाना और अपशब्द बोलना भी वर्जित होता है, काले-नीले कपड़े पहनने होते हैं, दाढ़ी-बाल-नाखून नहीं कटा सकते और शादी-जन्मदिन जैसे आयोजनों में शरीक नहीं हो सकते। मंदिर जाते समय सिर पर पल्लिकेट्टू होना अनिवार्य है। पल्लिकेट्टू एक छोटा झोलेनुमा कपड़ा होता है, जिसमें गुड़, नारियल और चावल जैसा प्रसाद का सामान होता है।