Rishi Panchami 2025: शास्त्रों में ऋषि पंचमी व्रत का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि इस दिन 7 ऋषियों की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत हर साल गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है। इस साल ऋषि पंचमी का व्रत 28 सितबंर यानी आज रखा जा रहा है। वहीं इस दिन व्रत रखने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी का व्रत करने से महामारी के समय हुई भूल से भी मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी की कथा…
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ऋषि पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार आज पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और इस समय में पूजन करने से विशेष फल भी प्राप्त होगा।
ऋषि पंचमी पर इस मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है-
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
ऋषि पंचमी व्रत की कथा (Rishi Panchami Vrat Katha 2025 In Hindi)
विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण के एक पुत्र तथा एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।
एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा- प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है? उत्तंक ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।
धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी। पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।