Religious and Scientific Significance Of Turmeric: हल्दी जो हर एक किचन में आसानी से मिल जाती है। हल्दी सेहत के लिए ही नहीं बल्कि मांगलिक, शुभ कार्यों में भी इस्तेमाल की जाती है। हल्दी को धार्मिक रूप से इसे इतना महत्वपूर्ण बताया गया है। आपने देखा होगा कि घर में किसी भी प्रकार का शुभ या विशेष अवसर होता है, तो उसमें हल्दी का इस्तेमाल अवश्य किया जाता है। इतना ही नहीं कई लोग घर में रंगोली बनाते समय चावल, गेहूं के आटा के अलावा हल्दी का इस्तेमाल भी करते हैं। हिंदू धर्म में हिंदू को पवित्र माना जाता है। इसका इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है। लेकिन कभी आपने सोचा कि इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है। इसमें न किसी न तरह की खुशबू होती है। ये एक परंपरा या फिर फिर किसी प्रकार का अंधविश्वास। आइए जानते हैं इसके पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण..
हल्दी का धार्मिक महत्व (Religious Significance Of Haldi)
हिंदू धर्म में हल्दी को सौभाग्य, शुभता का प्रतीक माना जाता है। किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान से लेकर पूजा आदि में हल्दी का इस्तेमाल अवश्य किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति से है। गुरु बृहस्पति को विवाह, धन और ज्ञान के कारक माने जाते हैं। यहीं कारण है कि विवाह के समय अलग से हल्दी सेरेमनी होती है। जिसमें विवाह से पहले दुल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। ऐसा करने से वर-वधु को गुरु बृहस्पति का आशीर्वाद प्राप्त हो। पूरे जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहे।
हल्दी करती है गुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व
ज्योतिष शास्त्र में पीला रंग गुरु बृहस्पति, सूर्य और मंगल से संबंधित माना जाता है। पीली हल्दी बृहस्पति ग्रह, नारंगी हल्दी मंगल ग्रह और काली हल्दी शनि ग्रह से संबंधित है। आमतौर पर पीली हल्दी का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण के अनुसार, पीली हल्दी गुरु बृहस्पति से संबंधित है। जिसे विवाह, भाग्य, धन आदि का कारक माना जाता है। इसके साथ ही इसके इस्तेमाल से घर की नकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है। हल्दी की माला से मंत्र मंथन करने से मनुष्य बुद्धिमान और ज्ञानी बनता है। आपकी कुंडली में बृहस्पति कमजोर है।
हल्दी की माला से इन मंत्रों का होता है जप
हल्दी की 108 दाने की माला बनाई जाती है। इस माला से भगवान विष्णु, भगवान गणेश से लेकर देवी बगलामुखी के मंत्रों का जाप करना सबसे अधिक लाभकारी माना जाती है। इसके अलावा गुरु बृहस्पति के मंत्र का जाप करना भी लाभकारी होता है।
भगवान विष्णु:-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
भगवान गणेश- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरदं नमः।
बंगलामुखी मंत्र- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा
गुरु ग्रह- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
हल्दी अग्नि तत्व का कारक
हल्दी का रंग पीला होता है। इस कारण इसे अग्नि तत्व माना जाता है। हिंदू धर्म में अग्नि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचतत्व में अग्नि भी शामिल है और इसे जीवन और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। अग्नि में सामान्यतः लाल, पीला और केसरिया रंग दिखाई देते हैं। पीला रंग ताप और ऊष्मा से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो ऊर्जा, शक्ति और जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है। धार्मिक दृष्टि से पीला रंग नया जीवन, उल्लास, खुशी, प्रेम और मंगल कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है। इसी के कारण हल्दी को पीला रंग मानकर मांगलिक कार्यों, पूजा-पाठ और हल्दी समारोह में इस्तेमाल किया जाता है।
हल्दी भगवान विष्णु को है अति प्रिय
हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को भी पीले रंग से जोड़कर देखा जाता है। भगवान विष्णु के साथ श्री कृष्ण, गुरु बृहस्पति को भी हल्दी चढ़ाना काफी शुभ माना जाता है। गुरुवार का दिन गुरु बृहस्पति का होता है। इस दिन पीले रंग की चीजें जैसे हल्दी, केला, वस्त्र आदि अर्पित करने के साथ-साथ दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी भी अति प्रसन्न होती हैं।
हल्दी का वैज्ञानिक महत्व (Scientific Significance Of Haldi)
हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसमें कुर्कुमिन नामक औषधीय गुण होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। ये घावों को भरने से लेकर मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार, हृदय रोगों के जोखिम को कम करना, कैंसर-रोधी प्रभाव, और गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। इतना ही नहीं हल्दी को स्किन में लगाने से निखार आता है और कई स्किन संबंधित समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। हल्दी के एंटी-ऑक्सीडेंट गुण तनाव और नकारात्मक मानसिक ऊर्जा को कम करने में मदद करते हैं, जिससे हल्दी समारोह के दौरान मानसिक संतुलन बना रहता है। यह प्राकृतिक सौंदर्य और स्वास्थ्य बूस्टर के रूप में कार्य करती है।
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