Premanand ji Maharaj: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होते हैं। उनकी सहज भाषा और जीवन से जुड़ी बातों के कारण देशभर के लोग उन्हें सुनना पसंद करते हैं। प्रेमानंद जी के प्रवचन में न केवल आम लोग बल्कि कई मशहूर हस्तियां भी शामिल होती हैं। कई बार लोग महाराज जी से ऐसे सवाल पूछते हैं, जो अनोखे या हैरान करने वाले होते हैं, और उनके जवाब सुनते ही प्रेमानंद महाराज के चेहरे पर हल्की मुस्कान नजर आ जाती है। हाल ही में उनके दरबार में हुआ एक वाकया सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है, जब एक व्यक्ति ने उनसे झूठ बोलकर छुट्टी लेने से जुड़ा दिलचस्प सवाल पूछा। ऐसे में आइए जानते हैं कि भक्त के इस सवाल पर प्रेमानंद महाराज जी ने क्या कहा…
झूठ बोलकर छुट्टी लेना पाप है या नहीं?
दरअसल, प्रेमानंद महाराज के प्रवचन के दौरान एक व्यक्ति ने सवाल किया कि वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है, और जब भी जरूरी काम के लिए छुट्टी मांगता है तो उसे नहीं मिलती। लेकिन अगर वह किसी रिश्तेदार की मौत का झूठा बहाना बनाता है, तो तुरंत छुट्टी मिल जाती है। उसने कहा कि उसने इस बार भी वृंदावन आने के लिए ऑफिस में झूठ बोल दिया। ऐसे में उसका सवाल था कि क्या भगवान के दर्शन के लिए झूठ बोलना भी पाप है?
जानिए प्रेमानंद महाराज का जवाब
यह सवाल सुनते ही प्रेमानंद महाराज पहले तो हंस पड़े और फिर बोले – ‘ये कलियुग का प्रभाव है, झूठइ लेना झूठइ देना, झूठइ भोजन झूठ चबेना।’ यानी आज का समय ऐसा है जब झूठ हर जगह घुस चुका है – बातों में, कामों में, यहां तक कि रिश्तों में भी। उन्होंने आगे कहा कि फिर भी झूठ बोलना पाप ही है।’
सत्य सबसे बड़ा तप है
इसके बाद प्रेमानंद जी ने तुलसीदासजी का एक प्रसिद्ध दोहा सुनाया – ‘सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप, जाके हृदय सांच है, ताके हृदय आप।’ उन्होंने समझाया कि सच्चाई के समान कोई तपस्या नहीं और झूठ के समान कोई पाप नहीं। जिस व्यक्ति के हृदय में सच्चाई रहती है, वहां स्वयं भगवान का निवास होता है। इसलिए हर परिस्थिति में सच्चाई को नहीं छोड़ना चाहिए।
भगवान के लिए बोले गए झूठ में नहीं है दोष
प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि मनुष्य को जीवन की हर परिस्थिति का डटकर सामना करना चाहिए और सत्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई झूठ भगवान की भक्ति, दर्शन या पूजा के लिए बोला जाए, तो वह झूठ नहीं माना जाता। उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति केवल भगवान के दर्शन के लिए छुट्टी लेने में झूठ बोल देता है, तो उसे पाप नहीं कहा जा सकता। लेकिन सांसारिक कामों, स्वार्थ या आराम के लिए झूठ बोलना गलत है और उससे बचना चाहिए।
सत्य ही भगवान तक पहुंचने का रास्ता है
आखिरी में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि सच्चाई ही इंसान के भीतर भगवान तक पहुंचने का मार्ग है। जीवन में भले ही कठिनाइयां आएं, लेकिन सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि झूठ से भले ही थोड़ी राहत मिल जाए, लेकिन वह हमें भीतर से कमजोर बना देता है। इसलिए हमें हर हाल में सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की कोशिश करनी चाहिए।
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