Premanand maharaj satsang thoughts: आज के समय में भले ही पूजा-पाठ का तरीका बदल गया हो, लेकिन भक्ति की भावना आज भी उतनी ही गहरी है। पहले लोग रेडियो या मंदिर में बैठकर भजन-कीर्तन सुना करते थे, अब वही लोग मोबाइल पर भजन और सत्संग सुनना पसंद करते हैं। मोबाइल ने भले ही जीवन को आधुनिक बना दिया हो, लेकिन इससे जुड़ा एक सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है कि क्या मोबाइल से सत्संग या भजन सुनना चाहिए? इसी सवाल का जवाब हाल ही में प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने दिया है। ऐसे में आइए जानते हैं इस बारे में प्रेमानंद जी महाराज क्या कहते हैं।
मोबाइल से सत्संग सुनना चाहिए या नहीं?
प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मोबाइल भले ही कलयुग की देन है, लेकिन इसमें सिर्फ दोष ही नहीं बल्कि गुण भी हैं। उन्होंने समझाया कि पहले लोग रोजाना कथा सुनने के लिए संतों के पास जाया करते थे, लेकिन आज के व्यस्त समय में हर किसी के पास ऐसा समय नहीं होता। ऐसे में अगर लोग मोबाइल के जरिए सत्संग सुनते हैं और उनके मन में सकारात्मक बदलाव आता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि आप लोग हमारे पास मोबाइल सुनकर ही आए हैं। अगर इसमें दोष ही होता, तो क्या परिवर्तन होता?
परिवर्तन ही सच्चे सत्संग की पहचान
महाराज जी ने आगे कहा कि आज लाखों लोग मोबाइल के जरिए भजन-सत्संग सुनकर जीवन में बदलाव महसूस कर रहे हैं। वे बुरे कर्मों से दूर होकर भगवान के नाम में लग रहे हैं। अगर ये बातें झूठी होतीं, तो इतने लोग प्रभावित नहीं होते। उन्होंने इसे दवा” का रूप बताया, जैसे एक डॉक्टर की दवा काम करे तो उसे अपनाना चाहिए, वैसे ही अगर मोबाइल से सत्संग सुनने से मन को शांति मिलती है तो इसे भी स्वीकार करना चाहिए।
नौजवानों पर कही ये बात
प्रेमानंद महाराज ने युवाओं के जीवन में आए बदलाव पर भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि आज के नौजवान जो पहले नशे और बुरे आचरण में फंसे थे, वे अब भजन-सत्संग सुनकर भगवान के मार्ग पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा अगर हमारी बातें झूठी होतीं, तो ऐसा परिवर्तन कभी संभव नहीं होता। उन्होंने बताया कि भगवान के नाम में ऐसी शक्ति है कि कलयुग भी अब उसका सहयोग कर रहा है, बाधा नहीं डाल रहा है।
भगवान के नाम में है असली शक्ति
महाराज जी ने आगे कहा कि जब कोई व्यक्ति भगवान के नाम में लग जाता है, तो दुनिया की कोई शक्ति उसे रोक नहीं सकती। चाहे कलयुग हो या कोई कठिन समय, भक्ति का मार्ग हमेशा सच्चा रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि संतों की बातें कभी व्यर्थ नहीं जातीं। वे व्यक्ति का कल्याण करती हैं और उसे सही दिशा देती हैं।
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