Premanand ji Maharaj on Ghode ki Naal Ring: वास्तु शास्त्र में घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और शुभ फल पाने के लिए घोड़े की नाल को दरवाजे पर लगाने की परंपरा प्रचलित है। माना जाता है कि इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है और बुरी नजर दूर रहती है। वहीं, शनि की साढ़ेसाती या ढैया के प्रभाव से बचने के लिए लोग अक्सर घोड़े की नाल की अंगूठी पहनते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में घोड़े की नाल की अंगूठी पहनने से लाभ होता है या फिर यह केवल एक मान्यता और भ्रम है? बता दें कि हाल में ही प्रेमानंद महाराज जी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है कि घोड़े की नाल पहननी चाहिए कि नहीं। तो चलिए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहते हैं प्रेमानंद जी महाराज…
घोड़े की नाल की अंगूठी पहनना चाहिए या नहीं?
इन दिनों प्रेमानंद जी महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है। इसमें एक भक्त ने उनसे पूछा कि ‘शनि की दुष्प्रभावों को कम करने के लिए क्या घोड़े की नाल धारण करना शुभ होता है? इस प्रश्न पर महाराज जी ने बहुत ही सरल लेकिन गहरी बात कही। उन्होंने कहा कि किसी भी वस्तु को पहनने या धारण करने से पहले उसके आध्यात्मिक महत्व और ऊर्जा के प्रभाव को समझना चाहिए। केवल अंधविश्वास के आधार पर किसी चीज को अपनाना सही नहीं होता है।
प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि यदि घोड़े की नाल पहनने से ही खुशियां और सौभाग्य मिलना संभव होता, तो सबसे अधिक सुख तो घोड़े को ही मिलना चाहिए। वह अपने पैरों में इस नाल को लगाकर दिन-रात मेहनत करता है, कठिन रास्तों पर दौड़ता है और दर्द सहते हुए भी कई किलोमीटर की दूरी तय करता है। ऐसे में उस नाल में उसका परिश्रम और पीड़ा समाई होती है। अब सोचिए, जो नाल स्वयं घोड़े के दुख और थकान से जुड़ी है, वह इंसान को कैसे सुख और समृद्धि दे सकती है?
महाराज जी का स्पष्ट संदेश है कि नाल, दांत या किसी भी बाहरी वस्तु से जीवन की परेशानियां दूर नहीं होतीं। ये सब आडंबर मात्र हैं। सच्चा सुख और शांति तभी मिल सकती है, जब मनुष्य प्रभु का नाम जपे। राम-राम, कृष्ण-कृष्ण और हरि-हरि का स्मरण ही सभी विघ्न-बाधाओं से मुक्ति दिला सकता है।
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