Bhaum Pradosh Vrat 2021: भगवान शिव की आराधना को समर्पित प्रदोष व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत का नामकरण दिन के अनुसार किया गया है। इस बार माघ महीने का प्रदोष व्रत 9 फरवरी के दिन मंगलवार को है। चूंकि मंगलवार को भौम भी कहा जाता है, इसलिए मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान हनुमान की भी कृपा भक्तों पर बनी रहती है।
भौम प्रदोष व्रत का महत्व- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा बनी रहती है। इंसान अपने सभी कर्जों से मुक्त होता है और आर्थिक प्रगति होती है। संतान प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का विशेष महत्व है। इस भौम प्रदोष के दिन की यह मान्यता है कि हनुमान जी के समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ करने से कर्ज़ से मुक्ति मिलती है।
भौम प्रदोष की पूजा विधि- सुबह नित्यकर्म से निबटकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें। इस व्रत में संध्या के समय भगवान की आराधना की जाती है। सूर्यास्त के एक घंटे पहले पूजा आरंभ करें। भगवान शिव को गंगाजल चढ़ाएं और उन्हें फूल माला अर्पित करें। भगवान शिव को चंदन लगाएं और उन्हें भांग, बेलपत्र धतूरा आदि अर्पित करें। अगरबत्ती और धूप जलाकर फलों का भोग लगाएं। भगवान शिव को ध्यान में रखते हुए शिव मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।
भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त- भौम प्रदोष व्रत प्रारंभ- मंगलवार 9 फरवरी सुबह 3 बजकर 19 मिनट से।
पूजा का शुभ मुहूर्त- मंगलवार 9 फरवरी शाम 6 बजकर 3 मिनट से रात 8 बजकर 40 मिनट तक।
भौम प्रदोष व्रत की समाप्ति- बुधवार 10 फरवरी प्रातः 2 बजकर 5 मिनट पर।