PM Narendra Modi Visit Triprayar Sreerama Swami Temple: प्रधानमंत्री पीएम मोदी दो दिन के आंध्र-केरल दौरे पर है। जहां पर आज सुबह उन्होंने केरल के गुरुवायूर मंदिर में पूजा-अर्चना की है। इसके बाद वे त्रिप्रयार श्री राम मंदिर में पूजा करेंगे। बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। ऐसे में पीएम मोदी ने इस राम मंदिर में दर्शन करना भी शामिल किया है। बता दें कि त्रिप्रयार श्री रामास्वामी मंदिर केरल के नट्टिका गांव में स्थिति है, जो कोच्चि हवाई अड्डे से 55 किलोमीटर दूर है। जानें  त्रिप्रयार श्री राम मंदिर के बारे में खास बातें।

खड़ी मुद्रा में स्थापित है श्री राम की मूर्ति

त्रिप्रयार श्री राम स्वामी मंदिर के बारे में अनोखी बात यह है कि भगवान राम की मूर्ति चतुर्भुज विष्णु की तरह दिखती है, जिनकी चार भुजाएं शंख, चक्र, धनुष और माला हैं। त्रिप्रयार श्री राम मंदिर लकड़ी की नक्काशी से भरा हुआ है और गर्भगृह आकार में गोलाकार है जिसमें शंक्वाकार ढकी हुई तांबे की छत है और सुनहरे थाज़िकाक्कुदम का मुकुट है। यहां पर भगवान राम की छठ फुट ऊंची खड़ी मुद्रा में स्थापित हैं। मंदिर की दीवारों को भित्ति चित्रों और रामायण के दृश्यों के मूर्तिकला चित्रण से सजाया गया है। मंदिर में तांबे से बने नमस्कार मंडप में प्रचुर मात्रा में नक्काशी की गई है, जिसमें नौ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करने वाली लकड़ी की नक्काशी है। त्रिप्रयारप्पन को खर संहार मूर्ति भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस खर को मार डाला था और शैव और वैष्णव पहलू प्राप्त किए थे। मंदिर के अंदर कुछ अन्य देवता भगवान हनुमान, भगवान गणेश, दक्षिणामूर्ति, भगवान अयप्पा और गोसाला कृष्णन हैं। मूर्ति के पीछे एक दीपक हमेशा जलता रहता है। बता दें कि त्रिप्रयार को त्रिप्रयार थेवर या त्रिप्रयारप्पा के रूप में भी जाना जाता है। इसके साथ ही ये प्रसिद्ध त्योहार अरट्टुपुझा पूरम के पीठासीन देवता भी है।  मंदिर के बाहरी आंगन में भगवान श्री अय्यप्प का मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर अरट्टूपुझा पूरम उत्सव के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है।

भगवान राम के साथ उनके भाईयों के मंदिर भी है मौजूद

पुराणों के अनुसार, समुद्र से निकली  भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्री राम की मूर्ति यहां पर स्थापित की गई है। इसके अलावा लक्ष्मण जी, भरत जी और शत्रुघ्न जी की भी मूर्तियां समुद्र किनारे मिली थी। जिन्हें मुखिया वक्केल कोविलाकम ले आया था और इन्हें क्रमशा त्रिप्रायर, तिरुमूज़िक्कलम, कूडलमाणिक्कम और पैम्मेल नाम के स्थानों पर विधि विधान से प्रतिष्ठित किया गया था।

कार्किडकम माह में दर्शन करने का खास महत्व

माना जाता है कि कार्किडकम का महीना जिसे ‘रामायण महीना’ भी कहा जाता है। उस दौरान  नालम्बलम तीर्थयात्रा में दोपहर से पहले  भगवान श्री राम के साथ उनेक भाईयों का दर्शन कर लेता है, तो यह यात्रा पूरी हो जाती है।

कैसे पहुंचे त्रिप्रयार राम मंदिर?

बता दें कि त्रिप्रयार श्री राम स्वामी मंदिर त्रिशूर सिटी सेंटर से 22 किमी पूर्व में स्थित है। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो निकटतम रेलवे स्टेशन इरिंजलक्कूड़ा रेलवे स्टेशन (25 किलोमीटर) है। इसके साथ ही हवाई यात्रा करना चाहते हैं, तो त्रिप्रयार श्री राम स्वामी मंदिर कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (नेदुम्बसरी) से केवल 55 किलोमीटर दूर है। यहां से आपका टैक्सी आदि मिल जाएगी।