Pitru Paksha 2019, Tithi, shradh vidhi, Tarpan: वैसे तो पितृ पक्ष में हर एक तिथि को किसी न किसी का श्राद्ध किया जाता है। लेकिन पितृ पक्ष की अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि दिवंगत पिता का श्राद्ध अष्टमी तिथि को तो माता का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। अगर कोई महिला सुहागिन मृत्यु को प्राप्त हुई हो और उसकी तिथि याद न हो तो उसका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है। जानें अष्टमी और नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त, श्राद्ध विधि…
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथि का चयन ऐसे किया जाता है:
– जिन परिजनों की अकाल मृत्यु या दुर्घटना या आत्महत्या का मामला होता है तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। अगर व्यक्ति की मृत्यु की तारीख याद न हो।
– इसी तरह तिथि याद न होने पर पिता का श्राद्ध अष्टमी एवं माता का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाना चाहिए।
– जिन पितरों के मरने की तिथि याद न हो तो उनका श्राद्ध पितृ अमावस्या के दिन किया जा सकता है। इस दिन श्राद्ध करने से भूले भटके श्राद्ध का कार्य भी संपन्न हो जाता है।
– सन्यासी का श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाता है।
अष्टमी श्राद्ध की तिथि और शुभ मुहूर्त: अष्टमी तिथि 22 सितंबर को पड़ रही है।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 21 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त: 22 सितंबर 2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 22 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक
कुल अवधि: 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त: 22 सितंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से दोपहर 01 बजकर 03 मिनट तक
कुल अवधि: 48 मिनट
अपराह्न काल: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 03 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 24 मिनट
नवमी श्राद्ध तिथि और शुभ मुहूर्त: ये तिथि 23 सितंबर को पड़ रही है।
नवमी तिथि प्रारंभ: 22 सितंबर 2019 को रात 07 बजकर 50 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त: 23 सितंबर 2019 को रात 06 बजकर 37 मिनट तक
कुतुप मुहूर्त: 23 सितंबर 2019 को सुबह 11 बजकर 26 मिनट से दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक
कुल अवधि: 48 मिनट
रौहिण मुहूर्त: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 01 बजकर 02 मिनट तक
कुल अवधि: 48 मिनट
अपराह्न काल: 23 सितंबर 2019 को दोपहर 01 बजकर 02 मिनट से दोपहर 03 बजकर 26 मिनट तक
कुल अवधि: 02 घंटे 24 मिनट
श्राद्ध विधि: श्राद्ध करने वाले दिन किसी पुरोहित को घर पर बुला लें। इस दिन अपने सामर्थ्य अनुसार अच्छा खाना बनाएं। हो सके तो जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसकी पसंद की चीजें बनाएं। खाने में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें। इस दिन पंचबलि दी जाती है। शास्त्रों में पांच तरह की बलि बताई गई हैं – गौ (गाय) बलि, श्वान (कुत्ता) बलि, काक (कौवा) बलि, देवादि बलि, पिपीलिका (चींटी) बलि। इसका मतलब किसी पशु की हत्या से नहीं बल्कि श्राद्ध के दौरान इन सभी को भोजन कराया जाता है। पशु, पक्षी और जानवरों को खाना डालने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है। ब्राह्मण के भोजन के बाद पितरों से जाने अनजाने हुई भूल की क्षमा मांगे और उनका धन्यवाद करें।