Pitra Dosh Kaise Lagta Hai: पितरों को देवतुल्य माना गया है। जैसे देवताओं की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, वैसे ही पितरों की कृपा पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना जरूरी माना जाता है। यदि यह कर्म विधि-विधान से न किए जाएं तो परिवार पितृ दोष से पीड़ित हो सकता है। ऐसी स्थिति में पितरों की आत्मा अशांत होकर परिवारजनों को कष्ट पहुंचाती है, जिसकी वजह से घर में क्लेश, कलह और अशांति बनी रहती है। वहीं, धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि कुछ गलतियों की वजह से पितृ दोष लगता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर किन वजहों से पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है।
पितरों की अधूरी इच्छाएं
यदि पितरों की इच्छाएं अधूरी रह जाएं और वंशज उन्हें पूरा न कर पाएं, तो यह पितृ दोष का मुख्य कारण बन सकता है। ऐसा अक्सर अकाल मृत्यु की स्थिति में होता है।
पिंडदान या श्राद्ध न करना
शास्त्रों के अनुसार, पिंडदान या श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है, जिसके कारण व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्वजों का अपमान
यदि कोई व्यक्ति जीवित रहते अपने पूर्वजों का अनादर करता है या माता-पिता के प्रति कर्तव्य नहीं निभाता, तो यह पितृ दोष का कारण बन सकता है।
विधिवत अंतिम संस्कार ना होना
शास्त्रों के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का संस्कार नियमों के अनुसार नहीं किया जाता है, तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और परिवार पर पितृ दोष का प्रभाव पड़ता है।
असहाय की हत्या
यदि कोई व्यक्ति असहाय या निर्दोष की हत्या करता है, तो उसे पितृ दोष का का सामना करना पड़ सकता है।
वृक्षों को काटना
शास्त्रों के अनुसार पीपल, बरगद और नीम जैसे पवित्र या पूजनीय वृक्षों को काटना पितृ दोष का कारण बनता है।
अंतिम संस्कार में गलती
शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार विधि-विधान से नहीं किया जाता, तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती और यह पितृ दोष का कारण बनता है।
जानवरों की हत्या
शास्त्रों के अनुसार, जो लोग जानवरों को सताते हैं या उनकी हत्या करते हैं, तो उन लोगों पर पितृ दोष लग सकता है।
छल-कपट
जो लोग मन में छल-कपट रखते हैं, दूसरों से धोखाधड़ी करते हैं या प्रॉपर्टी विवाद में गलत रास्ता अपनाते हैं, वे पितृ दोष के प्रभाव में आ सकते हैं।
धार्मिक नियमों का पालन न करना
शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत, त्योहार और पितृ तिथि पर मांस-मदिरा का सेवन करना पितरों का अपमान है, जिससे पितृ दोष लग सकता है।
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