हरिद्वार को मोक्ष का द्वार, गंगाद्वार, मायापुरी, हरिद्वार, हरद्वार सहित कई नामों से पुकारा जाता है। इस तीर्थ नगरी में साल भर श्रद्धालु गंगा स्नान करने के साथ अन्य कई धार्मिक अनुष्ठानों के लिए आते हैं। गंगा में मनुष्य का अस्थि विसर्जन किया जाता है। श्रद्धालु अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए कर्मकांड करने इस तीर्थ नगरी में पहुंचते हैं।

इसके अलावा मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि के लिए भी श्रद्धालु तीर्थ नगरी हरिद्वार पहुंचते हैं। वे इस तीर्थ नगरी में आकर अपने-अपने तीर्थ पुरोहितों से संपर्क करते हैं जब उन्हें उनके तीर्थ पुरोहित उन्हें अपने पास स्थित बही में उनकी सात पीढ़ी से भी अधिक के दस्तावेज दिखाते हैं तो वे आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

अपने यजमान के पारिवारिक पीढ़ी के हरिद्वार आगमन की तिथि आदि के उल्लेख को तीर्थ पुरोहित बड़े ही संभाल कर रखते हैं और अपने परिवार की विरासत को देखकर यजमान आश्चर्यचकित होने के साथ-साथ सुखद अनुभव करते हैं। तीर्थ पुरोहित और यजमानों का पीढ़ियों पुराना रिश्ता होता है। तीर्थ पुरोहित एक खास बहीखाता अपने पास रखते हैं, जिसमें वे यजमान की सात पीढ़ियों की जानकारी सहेज कर रखते हैं।

तीर्थ पुरोहितों के लिए यह बही खाते, उनके पुरखों की विरासत होते हैं। इस तरह हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों की एक समृद्ध परंपरा आज भी हरिद्वार के गंगा तट पर देखी जा सकती है। तीर्थ पुरोहित यजमान के संरक्षक उनके प्रतिनिधि और उनको मोक्ष का द्वार दिखाने वाले एक सच्चे प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।

तीर्थ पुरोहित हरिद्वार कनखल और ज्वालापुर में निवास करते हैं। तीर्थ पुरोहितों की संस्था और हर की पैड़ी की प्रबंध कारिणी संस्था श्री गंगा सभा के स्वागत मंत्री सिद्धार्थ चक्रपाणि बताते हैं कि हरिद्वार में तीर्थ पुरोहितों की परंपरा तब से है जब भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद लंका में विजय प्राप्त की और वे अयोध्या लौटे तो उन्होंने वहां पर ब्राह्मण रावण का वध करने की वजह से प्रायश्चित यज्ञ अनुष्ठान किया।

जिन पुरोहितों ने भगवान श्रीराम को यह अनुष्ठान कराया था, उनका तीर्थ पुरोहितों ने बहिष्कार कर दिया। इस पर बहिष्कृत पुरोहित भगवान श्री राम के पास अयोध्या पहुंचे और उन्हें अपनी व्यथा सुनाई और कहा कि वे उन्हें अनुष्ठान कराने के कारण अपने समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिए गए हैं। इस पर भगवान श्रीराम ने उन्हें कहा कि वे तीर्थों में निवास करें और कलयुग में हर व्यक्ति तीर्थ पुरोहित के रूप में उनकी पूजा करेगा और वे सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण कहलाए जाएंगे। उनका दर्जा अन्य ब्राह्मणों से अत्यधिक ऊंचा और विशिष्ट होगा। तीर्थों की मर्यादा गरिमा तीर्थ पुरोहितों के कारण ही होगी और कलयुग में आज तीर्थ पुरोहितों को तीर्थयात्री भगवान के रूप में पूजते हैं।

हरिद्वार को सनातन धर्म के अनुयायियों की आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है। तीर्थ पुरोहितों के बही खातों में 400 सालों तक का रिकार्ड दर्ज है। करीब 25-30 पीढ़ियों का इतिहास का तीर्थ पुरोहितों के बही खातों में दर्ज है। तीर्थ पुरोहितों के बही खाते एक ऐतिहासिक प्रमाणित ग्रंथालय माने जाते हैं।

न्यायालय ने भी इन बही खातों को एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में मान्यता दे रखी है। वहीं तीर्थ पुरोहितों के पास हिंदू धर्म के राजा रजवाड़ों का पूरे खानदान का इतिहास दर्ज है। गुरु नानक देव जी गुरु अमरदास जी महाराजा रणजीत सिंह महाराजा पटियाला महाराणा प्रताप आदि का पारिवारिक इतिहास इन बही खातों में मिल जाता है।

तीर्थ पुरोहित पंडित शैलेंद्र मोहन की बही में देश के तीन भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन और अटल बिहारी वाजपेयी के परिवार का इतिहास दर्ज है। साथ ही उनकी बही में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और शीला दीक्षित का पारिवारिक इतिहास दर्ज है। वहीं तीर्थ पुरोहित पंडित विनायक गोस्वामी की बही में महानायक अमिताभ बच्चन के परिवार का पूरा इतिहास मिलता है।

पंडित कालूराम की बही में देव आनंद के परिवार का उल्लेख है। इसके अलावा पंडित विशाल सिखोला की बही में देश के जाने-माने उद्योगपति बिरला परिवार तथा पंडित भूपेंद्र पटवर की बही में गुर्जरमल मोदी जैसे उद्योगपतियों का पारिवारिक इतिहास दर्ज है। तीर्थ परंपरा की रक्षा करने के साथ-साथ तीर्थ पुरोहित अपने सामाजिक सरोकारों को भी पूरा करते हैं।

हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित सरदार राम रखा और सरदार आनंद प्रकाश शर्मा हरिद्वार नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं। राजकुमार शर्मा तरुण तीर्थ पुरोहित के कार्य के साथ-साथ राजनीति में सक्रिय रहे और हरिद्वार के 1977 में विधायक रहे। वर्तमान में हरिद्वार नगर निगम की पहली महिला महापौर बनने का सौभाग्य भी तीर्थ पुरोहित समाज की बेटी अनीता शर्मा को मिला है।

देश की ऐतिहासिक साप्ताहिक पत्रिका दिनमान के संपादन का कार्य भी हरिद्वार तीर्थ पुरोहित समाज से जुड़े हुए पंडित श्याम लाल शर्मा को प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने वाले पंडित कौशल सिखोला भी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित समाज से जुड़े हुए हैं। इस तरह हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित तीर्थ की मर्यादा और परंपरा को और अधिक मजबूत करने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भी योगदान कर रहे हैं। वकालत के क्षेत्र में भी तीज पुरोहितों का हरिद्वार में अच्छा खासा दबदबा है। इसके अलावा व्यापार में भी तीर्थ पुरोहित अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।