Neeli Gemstone Benefits: वैदिक ज्योतिष में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए कई खास उपायों का वर्णन किया है। जिसमें से एक प्रमुख है रत्नों द्वारा ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करना। लेकिन रत्न बाजार में काफी महंगे मिलते है। इसलिए इन रत्नों का उपरत्नों का भी वर्णन मिलता है। ऐसे में यहां हम बात करने जा रहे हैं नीलम रत्न के उपरत्न के बारे में, जिसका नाम है नीली। यह रत्न बाजार में आसानी से मिल जाता है। साथ ही यह सस्ता भी होता है। साथ ही नीली रत्न का संबंध कर्मफल और न्याय प्रदाता शनि देव से माना जाता है। आइए जानते हैं नीली रत्न धारण करने के लाभ और पहनने की विधि…
नीली धारण करने के लाभ
रत्न शास्त्र अनुसार नीली पहनने के साथ ही व्यक्ति को आर्थिक लाभ होने लगता है और नौकरी, व्यवसाय में उन्नति होने के संकेत मिलने लगते हैं। साथ ही यदि कोई स्त्री या पुरुष डिप्रेशन का शिकार हैं तो उन्हें नीली जरूर धारण करना चाहिए। नीली धारण करने से तनाव से मुक्ति मिलती है। वहीं किसी व्यक्ति के ऊपर जादू- टोना या भूत प्रेत का चक्कर हो तो भी नीली उपरत्न धारण करने से लाभ होता है। वहीं जिन लोगों में धैर्य की कमी होती है और वह हर काम को लेकर जल्दबाजी में रहते हैं तो उनको नीली धारण करनी चाहिए।
इन लोगों के लिए माना जाता है लकी रत्न
नीली रत्न वृष राशि, मिथुन राशि, कन्या राशि, तुला राशि, मकर राशि और कुंभ राशि के लोगों को शुभ माना जाता है। वहीं शनि देव अगर कुंडली में सकारात्मक स्थित हैं तो भी नीली पहनी जा सकती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह की महादशा चल रही है और कुंडली में शनि देव शुभ स्थित हैं तो भी नीली रत्न धारण कर सकते हैं। लेकिन नीली के साथ माणिक्य, मूंगा और मोती नहीं धाऱण करना चाहिए। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
ऐसे धारण करें नीली रत्न
नीली रत्न को बाजार से कम से कम सवा 7 से सवा 8 रत्ती का धारण करना चाहिए। वहीं नीली को पंचधातु या चांदी के धातु में जड़वाकर धारण करना चाहिए। वहीं नीली की अंगूठी को शनिवार के दिन पहनना चाहिए। साथ ही पहनने से पहले अंगूठी को गाय के दूध गंगाजल और शहर के मिक्षण में कम से कम 15 से 20 मिनट के लिए डाल दें। इसके बाद ऊं शम शनिचराय नम: मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें। इसके बाद नीलम को दाएं हाथ की बीच की उंगली में धारण कर लें।