देश भर में रविवार (29 सितंबर) से नवरात्रि शुरू हो गए। इस दौरान पूरे देश में मौजूद माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। आज हम आपको यूपी के उन फेमस मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर लोगों को अटूट विश्वास है। माना जाता है कि इन मंदिरों में नवरात्र के दौरान पूजा करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं कौन-से हैं ये मंदिर और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।

सीतापुर स्थित मां ललिता देवी मंदिर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के अंतर्गत आने वाले मिश्रिख शहर में मां ललिता देवी का भव्य मंदिर है। यह मंदिर मशहूर तीर्थ नैमिषारण्य के पास मौजूद है। मान्यता है कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं की हर मांग पूरी होती है। यहां मां ललिता के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। बता दें कि नैमिष में बना चक्रतीर्थ और दधीच कुंड भी आकर्षण का केंद्र है।

Image result for सीतापुर स्थित मां ललिता देवी मंदिर

यह है मान्यता: किवदंती है कि देवी सती का हृदय इसी स्थान पर गिरा था। कहा जाता है कि यह एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां आज भी मां सती का हृदय धड़कता है। ऐसे में श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस शक्तिपीठ के महज दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

ऐसे जा सकते हैं इस मंदिर तक: नैमिषारण्य धाम का अपना रेलवे स्टेशन है, लेकिन दिल्ली और लखनऊ से यहां के लिए सीधी ट्रेन नहीं है। अगर ट्रेन से ही नैमिषारण्य जाना चाहते हैं तो दिल्ली और लखनऊ से बालामऊ जाना पड़ेगा। यहां से पैसेंजर ट्रेन की मदद से नैमिषारण्य जा सकते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से नैमिषारण्य के लिए सीधी बस मिल सकती है।

National Hindi News, 30 September 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक

वाराणसी का मां शैलपुत्री मंदिर: भोले के बाबा की नगरी वाराणसी के अलईपुर इलाके में मां शैलपुत्री का काफी मशहूर मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता इतनी ज्यादा है कि हर वक्त भक्तों का तांता लगा रहता है। वहीं, नवरात्र के दौरान इतनी ज्यादा भीड़ उमड़ती है कि एक दिन लाइन में लगने के बाद माता के दर्शन हो पाते हैं।

Image result for वाराणसी का मां शैलपुत्री मंदिर

यह है मान्यता: जानकारों की मानें तो पूरे देश में मां शैलपुत्री का एक ही मंदिर है। मान्यता है कि यहां आने मात्र से ही श्रद्धालुओं की मुराद पूरी हो जाती है। किवदंतियों के मुताबिक, हिमवान की पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण मां पार्वती शैलपुत्री कहलाई थीं। एक बार वह किसी बात पर भगवान शिव से नाराज हो गईं और काशी आ गईं। बताया जाता है कि उन्हें यह स्थान इतना ज्यादा पसंद आया कि वह यहीं विराजमान हो गईं।

Bihar Rains, Weather Forecast Today Live Updates: पटना एयरपोर्ट पर लगातार बारिश के कारण कई फ्लाइट रद्द

यह है मंदिर जाने का तरीका: वाराणसी स्थित इस मंदिर जाने के लिए दिल्ली व लखनऊ से कई ट्रेनें मौजूद हैं, जो आपको वाराणसी तक पहुंचा सकती हैं। वहीं, बस के रास्ते भी वाराणसी पहुंचा जा सकता है। इसके बाद नॉर्मल ऑटो व कैब लेकर मंदिर का रास्ता तय कर सकते हैं।

गोरखपुर का तरकुलहा मंदिर: गोरखपुर स्थित इस मंदिर का इतिहास देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। लोगों का कहना है कि 1857 की क्रांति के दौरान बंधू सिंह नाम के एक क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। बताया जाता है कि अगर कोई अंग्रेज मंदिर के आगे से गुजरता तो बंधू सिंह उसका सिर काटकर माता के चरणों में चढ़ा देते थे। कुछ समय बाद अंग्रेजों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने बंधू सिंह को पकड़ लिया।

Image result for गोरखपुर का तरकुलहा मंदिर

यह है मान्यता: कहा जाता है कि अंग्रेजों ने बंधू सिंह को फांसी की सजा सुनाई। उन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी देने का फैसला किया गया, जिससे कोई बगावत न कर सके। 12 अगस्त 1857 को बंधू सिंह को फांसी दी गई। बताया जाता है कि अंग्रेजों ने 6 बार बंधू सिंह को फांसी देने की कोशिश की, लेकिन हर बार फंदा टूट जाता। आखिर में बंधू सिंह ने मां से प्रार्थना की कि उन्हें जाने दें, जिसके बाद 7वीं बार में उन्हें फांसी हो सकी। इस घटना के बाद मां तरकुलहा देवी की मान्यता दूर-दूर तक फैल गई। बताया जाता है कि इस मंदिर में मटन का प्रसाद बांटा जाता है।

यह है मंदिर तक पहुंचने का रास्ता: मां तरकुलहा का मंदिर गोरखपुर से 20 किलोमीटर दूर देवीपुर गांव में स्थित है। गोरखपुर पहुंचने के लिए ट्रेन व बस दोनों ऑप्शन मौजूद हैं।

बलरामपुर का देवी पाटन मंदिर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर गांव में देवी पाटन मंदिर में स्थित है। नवरात्र के दौरान लाखों भक्त माता के दर्शन करने बलरामपुर पहुंचते हैं। माना जाता है कि पटेश्वरी माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।

Image result for बलरामपुर का देवी पाटन मंदिर

 

यह है मान्यता: किवदंतियों के मुताबिक, बलरामपुर के देवीपाटन मंदिर के गर्भगृह से पाताल तक अति प्राचीन सुरंग बनी हुई है। साथ ही, इस मंदिर में एक अखंड ज्योति जल रही है। कहा जाता है कि यह ज्योति त्रेतायुग से जल रही है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

यह है मंदिर पहुंचने का मार्ग: मां पटेश्वरी का यह मंदिर बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित है। तुलसीपुर और बलरामपुर की दूरी करीब 25 किलोमीटर है, जिसके लिए बस की सुविधा मौजूद है। वहीं, बलरामपुर तक बस व ट्रेन दोनों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।