Mohini Ekadashi Puja Vidhi, Katha: यूं तो हिंदू धर्म में हर एकादशी का अपना अलग स्थान है, लेकिन वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस बार 3 मई 2020 को मोहिनी एकादशी है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही जगत के कल्याण हेतु मोहिनी का रूप धारण किया था। भगवान ने अपने इसी मोहिनी रूप से असुरों को अपने मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करा दिया था। मोहिनी एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं क्या है मोहिनी एकादशी की पूजा विधि, व्रत कथा और शुभ मुहूर्त-

मोहिनी एकादशी पर कैसे करें पूजा: इस दिन सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही उठ जाना चाहिए। नित्यकर्म व घर की साफ-सफाई के बाद स्नान करें और साफ-सूथरे कपड़ें पहन लें। साफ सुथरे कपड़े पहनकर दाहिने हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकल्प लें। पूजा स्थान पर एक चौकी रखें उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। पूजा घर में भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान विष्णु को अक्षत, मौसमी फल, नारियल, मेवे व फूल चढ़ाएं। प्रभु की पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते रखना कतई न भूलें। इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें। अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें, साथ ही एकादशी की कथा सुनें और सुनाएं। वहीं, व्रतियों को इस दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए।

ये है शुभ मुहूर्त: 
शुरू- 3 मई 2020 प्रातः 9 बजकर 9 मिनट
समाप्त-  4 मई 2020 प्रातः 6 बजकर 12 मिनट

पारण मुहूर्त- 4 मई , सोमवार 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 50 मिनट तक।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा: मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच भीषण युद्ध छिड़ गया। तो श्री हरि विष्णु देवताओं के मदद हेतु मोहिनी रूप धारण कर देवता और दानवों के बीच में पहुंच गए। ​भगवान विष्णु के इस रूप से मोहित होकर दानवों ने अमृत का कलश विष्णु रूपी सुंदर नारी को सौंप दिया। पौराणिक कथनों के अनुसार, श्री नारायण ने जिस दिन मोहिनी का रूप धरा था, वह तिथि वैशाख मास की शुक्‍ल एकादशी थी। यही वजह है कि इस तिथ‍ि को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।