Margashirsha Pradosh Vrat: शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं एक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रियोदशी तिथि को। वहीं आपको बता दें कि इस दिन महादेव की विशेष उपासना की जाती है। साथ ही मान्यता है जो व्यक्ति पूरे दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा- अर्चना करता है। भोलेनाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही जीवन में सुख- समृद्धि का वास रहता है। वहीं पंचांग अनुसार 28 नवंबर 2023 से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो गई है और मार्गशीर्ष का पहला प्रदोष व्रत 10 दिसंबर रविवार को रखा जाएगा। इसको रवि प्रदोष व्रत बोला जाएगा। क्योंकि इस दिन रविवार है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त तिथि और महत्व…
प्रदोष व्रत की तिथि
वैदिक पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से आरंभ हो रही है और अगले दिन यानी 11 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विधान है। इसलिए प्रदोष काल को आधार मानते हुए प्रदोष व्रत 10 दिसंबर को रखा जाएगा।
जानिए शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 10 दिसंबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 24 मिनट से आरंभ होगा और संध्याकाल 08 बजकर 08 मिनट पर अंत होगा। इस समय में लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
रवि प्रदोष तिथि का महत्व
रवि प्रदोष के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें। साथ ही शिवलिंग का श्रंगार भी करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख- समृद्धि का वास रहेगा। साथ ही शनि, राहु- केतु ग्रहों का अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं और सभी देवी देवता वंदना करते हैं। वहीं इस दिन सुबह सूर्य देव की पूजा भी करनी चाहिए। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और धन व समृद्धि बनी रहती है।
