Mangal Ke Upay: वैदिक ज्योतिष में मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा गया है। साथ ही मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य के कारक माने जाते हैं। वहीं मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च के होते हैं, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी होते हैं।
आपको बता दें कि मंगल लगभग 45 दिन में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। मंगल ग्रह लाल रंग को प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल अगर अशुभ स्थित हो तो व्यक्ति को अज्ञात भय रहता है। साथ ही व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। आइए जानते हैं मंगल खराब होने से व्यक्ति को कौन- कौन से रोग हो सकते हैं…
मांगलिक होने से विवाह में होती है देरी
वैदिक ज्योतिष अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और 12वें स्थान में स्थित है, तो वह व्यक्ति मांगलिक होगा और ऐसे व्यक्ति का विवाह देरी से होगा। साथ ही विवाह में कई अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है।
दुर्घटना का रहता है खतरा
जन्मकुंडली में अगर मंगल ग्रह अशुभ या नकारात्मक स्थित हो तो व्यक्ति को दुर्घटना का खतरा रहता है। साथ ही आकस्मिक दुर्घटना हो सकती है। गंभीर चोट लग सकती है।
पारिवारिक समस्याओं की करना पड़ता है सामना
ज्योतिष शास्त्र अनुसार पीड़ित मंगल के कारण जातक के पारिवारिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
हो सकते हैं ये रोग
कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को विषजनित, रक्त संबंधी रोग, कुष्ठ, ख़ुजली, रक्तचाप, अल्सर, ट्यूमर, कैंसर, फोड़े-फुंसी, ज्वार आदि रोग होने की संभावना रहती है।
करें ये ज्योतिषीय उपाय
1- मंगलवार को 108 तुलसी के पत्तों पर राम नाम लिखकर हनुमानजी को तुलसी माला पहनाएं। ऐसा करने से मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होगा।
2- मंगलवार के दिन गुड़ और भुने हुए चने बंदरों को या फिर लाल रंग की गाय को खिलाएं। ऐसा करने से मंगल ग्रह आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा।
3- मंगलवार के दिन पान का बीड़ा बजरंगबली को नियम से चढ़ाएं। ऐसा करने से मंगल ग्रह की अशुभता से बचा जा सकता है।
4- मंगल ग्रह के मंत्र ॐ अं अंगारकाय नम: ॐ भौं भौमाय नम:” का जाप करें।