Makar Sankranti 2021 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri, Mantra: आज देश भर में धूमधाम से संक्रांति मनाई जाएगी। माघ महीने की शुरुआत का सूचक इस त्योहार को भारत के अलग-अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। धर्म विद्वानों का मानना है कि साल में कुल 12 संक्रांति होती हैं जिनमें मकर संक्रांति का दर्जा सबसे विशेष माना जाता है। इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान को बेहद महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है। हालांकि, कोरोना काल में नदी में नहाने की इजाजत हर किसी को नहीं मिलेगी, ऐसे में उन्हें घर पर ही अपने नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहा लेना चाहिए।
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति: भगवान सूर्य हर माह नई राशि में गोचर करते हैं, जिस दिन संक्रांति आती है। जब सूर्य देव धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। धार्मिक गणना के अनुसार सूर्य का गोचर सामान्यत: जनवरी के चौदहवे- पंद्रहवें दिन होता है। बता दें कि इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर जाता है और खरमास की समाप्ति भी हो जाती है।
क्या है शुभ मुहूर्त: इस दिन पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
जानें पूजन विधि: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। साथ ही, उनके पुत्र शनि की भी अराधना की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शनि महाराज को मकर राशि का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा से घर में धन-धान्य बना रहता है। वहीं, आज गुरुवार है तो बृहस्पतिदेव की पूजा भी लाभकारी है।
सुबह उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पानी में तिल मिलाकर नहाएं। साफ-सुथरे कपड़े पहनें और पूजा करें। जो लोग व्रत करेंगे वो इसी समय संकल्प लें। तांबे के लोट में जल भरकर सूर्यदेव को अर्पित करें। इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, तिल और थोड़ा सा गुड़ भी मिला दें। साथ ही उन्हें खिचड़ी का भोग लगाएं। उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करें।
क्या है मकर संक्रांति की पारंपरिक कथा: धर्म पुराणों में इस बात का जिक्र मिलता है कि मकर संक्रांति के दिन अपने पुत्र शनि से मिलने सूर्य देव उनके पास गए। उस वक्त शनि देव मकर राशि का स्वामित्व कर रहे थे। तब से ही इस दिन को मकर संक्रात के रूप में मनाया जाने लगा। माना जाता है कि इस खास दिन पर अगर एक पिता अपने बेटे से मिलने जाता है तो उनके यहां की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
इन मंत्रों का करें जाप:
महामृत्युंजय मन्त्र- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
गायत्री महामन्त्र- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।।
सूर्य गायत्री मन्त्र- ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।।
ऊं भास्कराय नम:
ऊं भानवे नम:
ऊं मरिचये नम:
ऊं सूर्याय नम:
ऊं आदित्याय नम:
ऊं सप्तार्चिषे नम:
महाभारत युद्ध के महान योद्धा और कौरवों की सेना के सेनापति गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु का वरदान प्राप्त था। भीष्म जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता है। अर्जुन के बाण लगाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को जानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन को निर्धारित किया था। महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए।
संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन से खरमास (पौष माह) के समाप्त होने के कारण रुके हुए शुभ कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन, गृह निर्माण आदि मंगल कार्य पुन: शुरू हो जाते हैं।
माना जाता है कि इस दिन देवलोक के दरवाजे खुल जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की अराधना होती है।
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' माना जाता है। माघ मेले में स्नान के लिए ये सबसे शुभ दिन माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों में दान दिया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन देवलोक में भी दिन का आरंभ होता है। इसलिए इसे देवायन भी कहा जाता है।
माना जाता है कि सूर्य के मकर राशि में जाते ही शुभ समय की शुरुआत हो जाती है। इसलिए लोग शुभता की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए पतंग उड़ाते हैं। इस दिन आसमान में रंग बिरंगी पतंगे लहराती हुई नजर आती हैं। कई जगहों पर पतंग उड़ाने की प्रतियोगताएं भी आयोजित की जाती है।
मकर संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी , उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को अलग-अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में जहां इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कहा जाता है। वहीं, असम में इस दिन बिहू (Bihu) और दक्षिण भारत में इस दिन पोंगल पर्व (Pongal) मनाया जाता है।