Makar Sankranti 2021 date: मकर संक्रांति हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व आता है। इस दिन से घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होने आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन देवलोक में भी दिन का आरंभ होता है। इसलिए इसे देवायन भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवलोक के दरवाजे खुल जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की अराधना होती है। सूर्य देव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
कई नामों से जाना जाता है संक्रांत: उत्तर भारत का मशहूर त्योहार मकर संक्रांति कई नामों से अलग-अलग प्रांतों में जाना जाता है। बिहार में जहां इसे तिल संक्रांत या दही-चूड़ा कहते हैं, वहीं असम में बिहू के नाम से ये त्योहार प्रसिद्ध है। इसके अलावा, दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन कई जगह खिचड़ी खाने का रिवाज़ है तो कहीं-कहीं नहाते वक्त पानी में तिल और सरसो का तेल मिला दिया जाता है। इतना ही नहीं, इस दिन बिहार-यूपी में दही-चूड़ा खाने की भी मान्यता है।
किस तरह होती है इस दिन पूजा: संक्रांति के दिन दान-पुण्य के साथ ही स्नान का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन ब्रह्म मुहुर्त में या फिर प्रातः काल में जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। सुबह उठकर नहा-धो लें और फिर सबसे पहले अपने ईष्ट देव को नमन करें। मकर संक्रांति के दिन मान्यता है कि भगवान सूर्य की अराधना होती है। साथ ही विद्वान मानते हैं कि भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और महादेव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
जानें शुभ मुहूर्त: मकर संक्रांति के साथ ही माघ के महीने की शुरुआत हो जाती है। मकर संक्रांति में आमतौर पर पूरे दिन लोग पूजा-पाठ और स्नान-दान करते हैं। हालांकि, इस दिन पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

