Makar Sankranti 2021 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat: मकर संक्रांति को अलग-अलग प्रांतों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में जहां इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कहा जाता है। वहीं, असम में इस दिन बिहू (Bihu) और दक्षिण भारत में इस दिन पोंगल (Pongal) मनाया जाता है। गुजरात में संक्रांति के दिन विशेष तौर पर पतंगबाजी का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे-बुजुर्ग पूरे उत्साह के साथ अपने घर की छतों पर पतंग उड़ाते हैं और मकर संक्रांति सेलिब्रेट करते हैं।
जानें शुभ मुहूर्त: 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन सूर्य देव सुबह 8 बजकर 30 मिनट यानी साढ़े 8 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी। दिन भर में पुण्य काल की बात करें तो वो करीब शाम के 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। हालांकि, महापुण्य काल सुबह सवेरे ही रहेगा। माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
क्या है पूजा विधि: इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। माना जाता है कि इस दिन से देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं। साथ ही, घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होने आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन मान्यता है कि भगवान सूर्य की अराधना होती है। सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं। इस दिन खिचड़ी का दान भी विशेष महत्व रखता है।
इस बार नहीं है मकर संक्रांति के तुरंत बाद विवाह की तिथि: मकर संक्रांति पर देवलोक में भी दिन का आरंभ होता है। इसलिए इसे देवायन कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवलोक के दरवाजे खुल जाते हैं। संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन से खरमास (पौष माह) के समाप्त होने के कारण रुके हुए शुभ कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन, गृह निर्माण आदि मंगल कार्य पुन: शुरू हो जाते हैं। हालांकि, इस साल जनवरी में विवाह की एक भी तिथि नहीं है।


मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था।
माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य इस दिन अपने देह को त्याग देता है उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है.
इस दिन गरीबों को जरूरत की वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस पर्व पर खिचड़ी का दान करना सबसे ज्यादा फलदायी माना गया है। उत्तर प्रदेश में इस त्योहार पर लोग अपने घरों में खिचड़ी बनाकर उसका सेवन करते हैं। इस अवसर पर तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र, अन्न और ब्राह्ण भोजन दान करना चाहिए।
इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। मान्यता है कि इस दिन से देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं। इस खास पर्व पर लोग सूर्यदेव को खिचड़ी का भोग लगाते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
मान्यता है कि संक्रांति के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से अवतरित होकर राजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुँची थी। धरती पर अवतरित होने के बाद राजा भागीरथ ने गंगा के पावन जल से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था। इस दिन पर गंगा सागर पर नदी के किनारे भव्य मेले का आयोजन किया जाता हैं।
संक्रांति की कथा के विषय में महाभारत में भी वर्णन मिलता है। महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के महान योद्धा और कौरवों की सेना के सेनापति गंगापुत्र भीष्म पितामह को इच्छा मुत्यु का वरदान प्राप्त था। अर्जुन के बाण लगाने के बाद उन्होंने इस दिन की महत्ता को जानते हुए अपनी मृत्यु के लिए इस दिन को निर्धारित किया था। भीष्म जानते थे कि सूर्य दक्षिणायन होने पर व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसे इस मृत्युलोक में पुनः जन्म लेना पड़ता है। महाभारत युद्ध के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुआ तभी भीष्म पितामह ने प्राण त्याग दिए।
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गरीबों को दान अवश्य दें, इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद भी बांट सकते हैं.
सूर्य देव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है। संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' माना जाता है। माघ मेले में स्नान के लिए ये सबसे शुभ दिन माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों में दान दिया जाता है।
माना जाता है कि सूर्य के मकर राशि में जाते ही शुभ समय की शुरुआत हो जाती है। इसलिए लोग शुभता की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए पतंग उड़ाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व आता है। इस दिन से घरों में मांगलिक कार्य भी संपन्न होने आरंभ हो जाते हैं।
इस दिन पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
मकर संक्रांति का पर्व सूर्य उपासना का एक पवित्र त्योहार है
गुरुवार 14 जनवरी को ग्रहों के राजा सूर्य सुबह 8 बजकर 08 मिनट पर शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ परम पावन उत्तरायण भी प्रारंभ हो जाएगा। यहां यह ध्यान रखना है कि संक्रांति पुण्य काल 14 जनवरी के सूर्योदय से ही शुरू होगा और दोपहर ढाई बजे तक रहेगा।
इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और पावन नदियों में स्नान कर दान करते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है
मकर संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी , उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, तमिल में पोंगल, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
हो आपके जीवन में खुशहाली,कभी भी न रहे कोई दुख देने वाली पहेली,सदा खुश रहे आप और आपका परिवार।
पल पल सुनहरे फूल खिले,कभी ना हो कांटों का सामना,जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे,संक्रांति पर हमारी यही शुभकामना
मीठी बोली, मीठी जुबान,इस त्योंहार का यही है पैगाम। मिलजुलकर मनाएं मकर संक्रांति।
तन में मस्ती, मन में उमंग, देखकर सबका अपनापन। गुड़ में जैसे मीठापन, होकर साथ हम उड़ायेंगे पतंग, और भरेंगे आकाश में अपने रंग।
मीठे गुड़ में मिल गया तिल,उड़ी पतंग और खिल गया दिल,हर पल सुख और हर दिन शांति,आपको और आपके परिवार को हैप्पी मकर संक्रांति।।
मकर संक्रांति के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है।
मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति का इंतजार किया था.
मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था।
मकर संक्रांति को पंजाब में लोहड़ी , उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांति के नाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गरीबों को दान अवश्य दें, इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद भी बांट सकते हैं.
मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में आने पर मीन राशि वाले लोगों को पदोन्नति और पुरस्कार मिलने के अवसर हैं। इसके अलावा उन्हें पुरानी बीमारी से भी मुक्ति मिलेगी।
मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में आने पर वृश्चिक राशि वाले लोगों को सम्मान मिलेगा और आय में वृद्धि होगी।
मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में आने पर सिंह राशि वाले लोगों के रोगों का नाश होगा। शत्रु पराजित होंगे।
मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में जाने पर मेष राशि धारकों को लाभ मिलेगा। मेष राशि धारक जिस कार्य के लिए प्रयत्नशील होंगे, उसमें सफलता निश्चित ही मिलेगी।
माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य इस दिन अपने देह को त्याग देता है उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है.
तिल, कंबल,घी आदि का दान, होम आदि करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर संपत्ति आदि प्रदान करते हैं
मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है.
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है. गरीबों को यथाशक्ति दान दें. पवित्र नदियों में स्नान करें. खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है.
इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और पावन नदियों में स्नान कर दान करते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है
इस बार मकर संक्रांति पर मकर राशि में कई महत्वपूर्ण ग्रह एक साथ गोचर करेंगे. इस दिन सूर्य, शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे. जोकि एक शुभ योग का निर्माण करते हैं
गुरुवार 14 जनवरी को ग्रहों के राजा सूर्य सुबह 8 बजकर 08 मिनट पर शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ परम पावन उत्तरायण भी प्रारंभ हो जाएगा। यहां यह ध्यान रखना है कि संक्रांति पुण्य काल 14 जनवरी के सूर्योदय से ही शुरू होगा और दोपहर ढाई बजे तक रहेगा।
इस त्योहार के गुरुवार के दिन होने से मानव समाज में आरोग्यता और राजाओं में परस्पर प्रेम की वृद्धि होती है। साथ ही अन्न की उपज अधिक होती है। जिससे समृद्धि आती है।