Mahashivratri 2025 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List, Muhurat Timing, Vrat Katha, Aarti, Bhagwaan Shiv Ki Puja Vidhi: आज पूरे देश में धूमधाम के साथ महाशिवरात्रि का व्रत रखा जा रहा है। यह धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य का त्याग कर वैवाहिक जीवन को अपनाया था।
शिव भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात्रि जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिवजी और माता पार्वती की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। बता दें कि इस साल महाशिवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, शिव चालीसा, शिव आरती, ज्योतिषीय उपाय सहित अन्य जानकारी….
Mahashivratri 2025 Date, Puja Vidhi, Muhurat | Mahamrityunjaya Mantra Lyrics
कब है महाशिवरात्रि 2025 (Mahashivratri 2025 Kab Hai)
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है, इसलिए इस साल यह पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन शिव मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और भक्त शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल चढ़ाकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
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महाशिवरात्रि चारों प्रहर पूजा समय (Mahashivratri Char Prahar Puja Time 2025)
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को शाम 6 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 26 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी को अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 3 बजकर 41 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक
महाशिवरात्रि पूजा सामग्री (Mahashivratri Puja Samagri)
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करें। पूज करने से पहले ही पूरी सामग्री इकट्ठा कर लें, जिससे पूजा के समय किसी भी प्रकार का विघ्न उत्पन्न न हो। पूजा थाली में फूल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, भस्म, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बाली, मंदार के फूल, गाय का दूध, दही, बेर, शुद्ध देशी घी, गन्ने का रस, शहद, गंगाजल,पांच तरह के फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, कपूर, धूप, दीपक, रूई, चंदन शिव व पार्वती जी की श्रृंगार सामग्री, वस्त्राभूषण रत्न, दक्षिणा, कुशासन, पूजा के बर्तन आदि।
महाशिवरत्रि के मौके पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ कुछ ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं। आज के दिन किसी शिव मंदिर में जाकर छोटे से तांबे या फिर चांदी के नाग-नागिन अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से शिव जी अति प्रसन्न होंगे और सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के दु्ष्प्रभाव कम होगा।
महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे वह अति प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
चंद्र बीज मंत्र- ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:’
चंद्र मूल मंत्र- ‘ॐ चं चंद्रमसे नम:’
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
ॐ नमः शिवाय
ॐ हौं जूं स:
1- ॐ नमः शिवाय
2-ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
3-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
4-ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहितन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
5-करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा ।श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं ।विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व ।जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
भगवान शिव प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक आदर्श शिक्षक के रूप में देखे जाते हैं, जिनके जीवन से तमाम तरह की शिक्षाएं मिलती हैं... यहां देखें मिलने वाली शिक्षाएं...
अगर किसी जातक की कुंडली में राहु, केतु या फिर शनि दोष है, तो महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इस शिव गायत्री मंत्र का जाप करना लाभकारी होगा।
।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।
अगर आप महामृत्युंजय मंत्र कापी कठिन लग रहा है, तो आप इस लधु मंत्र का जाप कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप कपने से महामृत्युंजय मंत्र के बराबर ही फल की प्राप्ति होगी।
ॐ हौं जूं सः
महाशिवरात्रि के दिन आप भोलेनाथ को बेर, सेब, बेल, अनार और संतरे का भोग लगा सकते हैं। मान्यता है कि ये चीजें भगवान शिव को अति प्रिय हैं।
भोलेनाथ के भक्तों को महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार रहता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं। शिव पुराण में शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाने से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताया गया है। तो चलिए जानते हैं शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद खा सकते हैं या नहीं...
ॐ जय शिव ओंकारा… आरती
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
ॐ जय शिव ओंकारा
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा।
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा।।
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा।।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा।।
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को शाम 6 बजकर 19 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 26 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – 26 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट से 27 फरवरी को अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 3 बजकर 41 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – 27 फरवरी को सुबह 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 26 फरवरी 2025 सुबह 11: 08 पर
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 27 फरवरी 2025 सुबह 8:54 पर
ऊं हरये नमः
ॐ नमः शिवाय
ऊं महेश्वराए नमः
ऊं शूलपानायाय नमः
ऊं पिनाकपनाये नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ शंकराय नमः
ऊं पशुपतये नमः
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ नीलकंठाय नमः
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा जाती है। बता दें कि इस दिन पूजा चार प्रहर में की जाती है। ऐसे में शिव जी की पूजा करने के साथ-साथ रुद्राक्ष और बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। साथ ही, 11 दीपक जलाएं। मान्यता है कि इससे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से सुख-सौभाग्य और धन-संपदा का आशीर्वाद पा सकता है।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ इन संदेशों को भेजकर अपने दोस्तों और करीबियों को शुभकामनाएं दे सकते हैं।
महाशिवरात्रि के खास मौके पर बुधवार से ही रामेश्वरम के रामनाथस्वामी मंदिर में आस्था का सैलाब दिखने लगा। भक्तों ने पूजा-अर्चना कर बाबा भोलेनाथ से सुखी जीवन के लिए प्रार्थना की।
महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कनॉट प्लेस के प्राचीन शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की।
आशुतोष शशांक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा।।
निर्विकार ओमकार अविनाशी,
तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता,
शिवम सत्यम सुंदरा।।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधार अभयंकरा।।
शूल पानी त्रिशूल धारी,
औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय,
विश्वनाथ विशम्भरा ॥
नाथ नागेश्वर हरो हर,
पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले,
सदा शिव शिव संकरा ॥
जगत पति अनुरकती भक्ति,
सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब,
जय जयति जगदीश्वरा ॥
जनम जीवन जगत का,
संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन,
जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
आशुतोष शशाँक शेखर,
चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू,
कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
महाशिवरात्रि के पवित्र अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में शिव जी की पूजा करने के साथ-साथ रुद्राभिषेक किया। उन्होंने सोशल मीडिया में वीडियो शेयर की।
https://twitter.com/myogiadityanath/status/1894593262582993111
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
महादेव, महादेव, महादेव…
महेशम् सुरेशम सुरारती नाशम, सुरारती नाशम
विभूम विश्वनताम, विभुत्यांग भूषं
विभूम विश्वनताम, विभुत्यांग भूषं
तिरूपाक्षहमितवार कृपहुँ त्रिनेत्रम
तिरूपाक्षहमितवार कृपहुँ त्रिनेत्रम
सदानन्द निमें प्रभु पंचबद्रम
सदानन्द निमें प्रभु पंचबद्रम
नमस्ते नमस्ते विभोविश्वमूर्ते
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
महादेव, महादेव, महादेव…
तत्व जगतभवती देवभवस्मरारे
त्वयेव तिस्टति जगन मिड्ड विश्वनाथ
तत्व जगतभवती देवभवस्मरारे
त्वयेव तिस्टति जगन मिड्ड विश्वनाथ
त्वयेव गच्छति लयम् जगदीश्वर
लिंगात्मकम हारस्चरात चरः विश्वरूपिंग
नमस्ते नमस्ते तपो योग गम्याः
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
शंकर शिव भोले उमापति महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
पालनहार परमेश्वर, विश्वरूप महादेव
महादेव, महादेव, महादेव…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल की महाशिवरात्रि काफी खास है, क्योंकि आज मीन राशि में बुध, सूर्य और शनि की युति से त्रिग्रही, शश और बुधादित्य योग बन रहा है। इसके साथ ही मीन राशि में मालव्य और शुक्र-राहु की युति हो रही है। साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का निर्माण हो रहा है। जिससे कुछ राशियों को लाभ मिलने वाला है। आइए जानते हैं इन राशियों के बारे में...
महांकुभ का अंतिम शाही स्नान आज यानी महाशिवरात्रि पर किया जा रहा है। महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान पर संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर सरकार ने हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई।
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय हिरण्यपतए
अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम
तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्
महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्
नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी
रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः
शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि का व्रत करने के साथ मंत्र, चालीसा के साथ इस कथा को अवश्य पढ़ना या फिर सुनना चाहिए। इसके बिना व्रत अधूरा है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि की संपूर्ण व्रत व्रत कथा।
1. ॐ महाकाल नमः
2. ॐ भीमेश्वर नमः
3. ॐ विषधारी नमः
4. ॐ बम भोले नमः
5. ॐ विश्वनाथ नमः
6. ॐ अनादिदेव नमः
7. ॐ उमापति नमः
8. ॐ गोरापति नमः
9. ॐ गणपिता नमः
10. ॐ ओंकार स्वामी नमः
11. ॐ ओंकारेश्वर नमः
12. ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
13. ॐ भोले बाबा नमः
14. ॐ शिवजी नमः
15. ॐ रुद्रनाथ नमः
16. ॐ भीमशंकर नमः
17. ॐ नटराज नमः
18. ॐ प्रलेयन्कार नमः
19. ॐ चंद्रमोली नमः
20. ॐ डमरूधारी नमः
21. ॐ चंद्रधारी नमः
22. ॐ दक्षेश्वर नमः
23. ॐ घ्रेनश्वर नमः
24. ॐ मणिमहेश नमः
25. ॐ अनादी नमः
26. ॐ अमर नमः
27. ॐ आशुतोष महाराज नमः
28. ॐ विलवकेश्वर नमः
29. ॐ भोलेनाथ नमः
30. ॐ कैलाश पति नमः
31. ॐ भूतनाथ नमः
32. ॐ नंदराज नमः
33. ॐ नन्दी की सवारी नमः
34. ॐ ज्योतिलिंग नमः
35. ॐ मलिकार्जुन नमः
36. ॐ शम्भु नमः
37. ॐ नीलकंठ नमः
38. ॐ महाकालेश्वर नमः
39. ॐ त्रिपुरारी नमः
40. ॐ त्रिलोकनाथ नमः
41. ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
42. ॐ बर्फानी बाबा नमः
43. ॐ लंकेश्वर नमः
44. ॐ अमरनाथ नमः
45. ॐ केदारनाथ नमः
46. ॐ मंगलेश्वर नमः
47. ॐ अर्धनारीश्वर नमः
48. ॐ नागार्जुन नमः
49. ॐ जटाधारी नमः
50. ॐ नीलेश्वर नमः
51. ॐ जगतपिता नमः
52. ॐ मृत्युन्जन नमः
53. ॐ नागधारी नमः
54. ॐ रामेश्वर नमः
55. ॐ गलसर्पमाला नमः
56. ॐ दीनानाथ नमः
57. ॐ सोमनाथ नमः
58. ॐ जोगी नमः
59. ॐ भंडारी बाबा नमः
60. ॐ बमलेहरी नमः
61. ॐ गोरीशंकर नमः
62. ॐ शिवाकांत नमः
63. ॐ महेश्वराए नमः
64. ॐ महेश नमः
65. ॐ संकटहारी नमः
66. ॐ महेश्वर नमः
67. ॐ रुंडमालाधारी नमः
68. ॐ जगपालनकर्ता नमः
69. ॐ पशुपति नमः
70. ॐ संगमेश्वर नमः
71. ॐ अचलेश्वर नमः
72. ॐ ओलोकानाथ नमः
73. ॐ आदिनाथ न
74. ॐ देवदेवेश्वर नमः
75. ॐ प्राणनाथ नमः
76. ॐ शिवम् नमः
77. ॐ महादानी नमः
78. ॐ शिवदानी नमः
79. ॐ अभयंकर नमः
80. ॐ पातालेश्वर नमः
81. ॐ धूधेश्वर नमः
82. ॐ सर्पधारी नमः
83. ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
84. ॐ हठ योगी नमः
85. ॐ विश्लेश्वर नमः
86. ॐ नागाधिराज नमः
87. ॐ सर्वेश्वर नमः
88. ॐ उमाकांत नमः
89. ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
90. ॐ त्रिकालदर्शी नमः
91. ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
92. ॐ महादेव नमः
93. ॐ गढ़शंकर नमः
94. ॐ मुक्तेश्वर नमः
95. ॐ नटेषर नमः
96. ॐ गिरजापति नमः
97. ॐ भद्रेश्वर नमः
98. ॐ त्रिपुनाशक नमः
99. ॐ निर्जेश्वर नमः
100. ॐ किरातेश्वर नमः
101. ॐ जागेश्वर नमः
102. ॐ अबधूतपति नमः
103. ॐ भीलपति नमः
104. ॐ जितनाथ नमः
105. ॐ वृषेश्वर नमः
106. ॐ भूतेश्वर नमः
107. ॐ बैजूनाथ नमः
108. ॐ नागेश्वर नमः
महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का साक्षी बना था। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से शिवजी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शिव कृपा से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस साल महाशिवरात्रि पर दो महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं। पंचांग के अनुसार, 26 फरवरी 2025 को श्रवण नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो शाम 5:08 बजे तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन परिध योग भी बन रहा है। इन शुभ योगों के कारण इस साल महाशिवरात्रि का महत्व और बढ़ गया है।
भगवान शिव की पूजा के लिए इस दिन कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है। पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, भस्म, फूल, गंगाजल, पंचामृत, गाय का दूध, दही, शहद, गन्ने का रस, पंच मेवा, इत्र, रोली, मौली, चंदन, धूप, दीपक, कपूर और भगवान शिव के लिए वस्त्र और श्रृंगार सामग्री शामिल करें। ये सभी सामग्रियां भगवान शिव को प्रिय हैं और इनसे पूजा करने से विशेष फल मिलता है।