Mahananda Navami 2021: आज यानी 12 दिसंबर को महानंदा नवमी मनाई जा रही है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जो लोग अपने जीवन में आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनके लिए इस दिन व्रत-उपवास करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है की महानंदा नवमी का व्रत रखने से घर में ना केवल सुख-समृद्धि आती है बल्कि आपको सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।

महानंदा नवमी का व्रत करने से रुके हुए सभी काम पूरे हो जाते हैं और आपके धन में वृद्धि होती है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। महानंदा नवमी के दिन माता लक्ष्मी की पूरे श्रद्धा भाव और विधि-विधान से पूजा करने से आपके घर में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती।

पूजा विधि: महानंदा नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें। फिर घर में निकले कूड़े को सूप में भरकर बाहर फेंक दें। मान्यता है की ऐसा करने से अलक्ष्मी का विसर्जन होता है। इसके बाद स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े पहन लें और पूजा स्थल पर बैठकर माता लक्ष्मी का आवाहन करें। फिर एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर, उन्हें अक्षत, पुष्प, धूप और भोग आदि अर्पित करें। फिर दीपक जलाकर महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।

विधि-विधान से माता लक्ष्मी का पूजा करने के बाद देवी मां को बताशे और मखाने का भोग लगाएं। पूरे दिन व्रत का पालन करें और रात में माता लक्ष्मी का जागरण करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करती हैं।

व्रत कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार एक नगर में एक साहूकार की बेटी रहती थी। वह बेहद ही धार्मिक स्वभाव की थी। वह हर दिन पीपल के पेड़ की पूजा करती थी। उस पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास था, साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी से मित्रता कर ली। एक दिन माता लक्ष्मी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं और उसका खूब आदर-सत्कार किया।

उसे खूब खिलाया और बाद में उपहार देकर विदा किया। इसके बाद मां लक्ष्मी साहूकार की बेटी से बोलीं की मुझे तुम अपने घर कब बुला रही हो। इस पर साहूकार की बेटी उदास होकर सोचने लगी की मैं देवी मां का किस तरह से स्वागत-सत्कार कर पाउंगी। हालांकि फिर भी साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को अपने घर में आने का न्योता दे दिया। घर पहुंचने के बाद साहूकार की बेटी ने सारी बात अपने पिता को बताई।

बेटी की बात सुनकर साहूकार भी चिंता में पड़ गया। उसी समय एक चील साहूकार के घर हीरे का हार गिराकर चली गई। इस हार को बेचकर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी के लिए सोने की चौकी लगाई और दुशाला खरीदा। माता लक्ष्मी श्री गणेश के साथ साहूकार की बेटी के घर पधारीं तो उसने महालक्ष्मी और भगवान गणेश की खूब सेवा की। माता लक्ष्मी और गणेश जी ने साहूकार की बेटी की सेवा से प्रसन्न होकर उसे आशीर्वाद दिया।