हिंदू पंचांग के मुताबिक महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी राधा अष्टमी के दिन से होती है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी पितृपक्ष के दौरान महालक्ष्मी व्रत समापन किया जाता है। इस साल 10 सितंबर, बृहस्पतिवार महालक्ष्मी व्रत का समापन किया जाएगा। इस व्रत को माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है।

महालक्ष्मी व्रत का महत्व (Mahalaxmi Vrat Ka Mahatva/ Mahalaxmi Vrat Importance)

कहते हैं कि जो व्यक्ति श्रद्धा से देवी लक्ष्मी की पूजा कर महालक्ष्मी व्रत का समापन करता है उसका घर धन-धान्य से भर जाता है। शास्त्रों में भी देवी लक्ष्मी के इस व्रत की महिमा बताई जाती है। साल भर में माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का यह सबसे सुनहरा अवसर होता है। विद्वानों का कहना है कि देवी लक्ष्मी धन, वैभव और यश देने वाली हैं, उन्हीं की कृपा से इस धरती पर जीव धन पाता है। कहा जाता है कि धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी व्रत अचूक उपाय है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से धन प्राप्ति के लिए दैवीय आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के दिन देवी लक्ष्मी की श्रद्धा से उपासना करने से घर में धन आगमन होता है।

महालक्ष्मी व्रत शुभ मुहूर्त (Mahalaxmi Vrat Shubh Muhurat 2020/ Mahalaxmi Vrat Muhurat)
अष्टमी तिथि आरंभ – 10 सितंबर, बृहस्पतिवार – 02:05 ए एम से
अष्टमी तिथि समाप्त – 11 सितंबर, शुक्रवार – 03:34 ए एम तक
चंद्रोदय का समय – 10 सितंबर, बृहस्पतिवार – 11:34 पी एम
पूजा का शुभ मुहूर्त – 10 सितंबर, बृहस्पतिवार – 06:32 पी एम से 07:41 पी एम तक

लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti/ Laxmi Mata Ki Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ॐ॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ॐ॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ॐ॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ॐ॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ॐ॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ॐ॥

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ॐ॥

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ॐ॥