साल का पहला चंद्र ग्रहण आज लग रहा है। यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसमें चंद्रमा के ऊपर सिर्फ धुंध से छाई रहेगी। यह चंद्र ग्रहण भारत सहित कई देशों में दिखाई देने वाला है। ऐसे में ग्रहण का असर देश-दुनिया में देखने को मिल सकता है। ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ की मनाही होती है। इस दौरान मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। ज्योतिष एवं धर्म शास्त्रों में चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्रोच्चार का खास के बारे में बताया गया है। इन मंत्रों का जाप करके व्यक्ति ग्रहण के समय निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से खुद को बचा सकता है। इसके साथ-साथ चंद्र दोष से मुक्ति पा सकता है और मां लक्ष्मी की भी कृपा पा सकता है। जानिए चंद्र ग्रहण के दौरान किन मंत्रों का जाप करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रों का जाप करने के लिए किसी भी तरह के माला का इस्तेमाल न करें, बल्कि ऐसे ही इनका उच्चारण किया जाता है। इस मंत्रों का जाप करने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
चंद्र ग्रहण के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
शत्रुओं पर विजय पाने के लिए
यदि आपके शत्रुओं की संख्या बहुत अधिक है और आप उनके ऊपर विजय पाना चाहते हैं, तो चंद्र ग्रहण के दौरान बगुलामुखी का मंत्र जाप करना लाभकारी सिद्ध हो सकता है। ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:।
धन लाभ के लिए
अगर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो चंद्र ग्रहण के दौरान मां लक्ष्मी का मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:’ का जाप करें। इन्हें करने से धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
व्यापार में तरक्की के लिए
लाख कोशिशों के बावजूद बिजनेस में किसी न किसी तरह से घाटा हो रहा है और कार्य स्थल में भी कोई न कोई मुश्किल खड़ी हगो रही है, तो ग्रहण के दौरान महालक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से नौकरी और व्यापार में आ रही हर एक समस्या से निजात मिल सकती है। मंत्र- ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:’
चंद्र दोष से निजात पाने के लिए
- अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्र दोष है। जिसके कारण मानसिक, शारीरिक जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र देव के इन मंत्रों का जाप करना लाभकारी हो सकता है।
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।
- ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
- ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:
- दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
- नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।