भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए कई श्रद्धालु गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं। बताया जाता है कि भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि बहुत प्रिय है। उन्होंने माता चतुर्थी को वरदान दिया था कि जो भी इस दिन उनका व्रत करेगा, उनकी वे सारी इच्छाएं पूरी कर देंगे। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस दिन निराहार और फलाहार दोनों तरह के व्रत रखे जाते हैं। व्रत रखने के लिए कोई एक तय विधि नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ चीजों का पालन करना होता है।
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़ें पहनें। वस्त्र लाल या पीले रंग के पहने की कोशिश करें, क्योंकि गणेश जी को लाल और पीला रंग काफी पसंद है। व्रत रखने वाले लोग इसका विशेष तौर पर ध्यान रखें। इसके बाद एक साफ सुथरा और स्वच्छ आसन लगाए और उस पर बैठ जाएं। आसन पर बैठकर भगवान गणेश की पूजा करें। इस दौरान यह ध्यान रखने वाली बात है कि
भगवान श्री गणेश की पूजा के वक्त मुंह उत्तर और पूर्व की ओर ना हो। भगवान श्री गणेश को फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत और अन्य सामग्री के साथ स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद भगवान श्रीगणेश की विधिवत तरीके से पूजा करें। पूजा के दौरान धूप-दीप से गणेश जी की आराधान करें। भगवान श्री गणेश को लड्डू बहुत पसंद हैं ऐसे में उन्हें तिल और गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं।
व्रतधारी शाम के वक्त गणेश चतुर्थी की कथा सुनें या पढ़ें। इसके अलावा उनकी आरती भी करें। भगवान गणेश की पूजा के बाद गणेश मंत्र ”ॐ गणेशाय नम:’ अथवा ‘ॐ गं गणपतये नम:’ का 108 पर जाप करे। वहीं गरीबों को दान देने का भी विधान है। गरीबों को कंबल, आटा, कपड़े, तिल-गुड़ के लड्डू या अन्य जरूरत की चीजें दान दे सकते हैं। इसका जरूर ध्यान रखें कि भगवान गणेश तो तुलसी नहीं चढ़ती है।
बता दें, इस बार भगवान गणेश की पूजा के लिए केवल 2.33 घंटे ही शुभ हैं। दिल्ली के समय के मुताबिक यह समय सुबह 11 बजकर 5 मिनट से शुरु होगा और दोपहर में 1 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगा। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा या अनुष्ठान करवा सकते हैं।
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