हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध “कुल्लू दशहरा” में राज्य के कुल्लू जिले के धलपुर मैदान में पूरे उत्साह एवं उमंग के साथ मंगलवार से शुरू हो गया। सप्ताह भर चलने वाला यह उत्सव इसलिए अनूठा है क्योंकि जब देश के बाकी हिस्सों में दशहरा समाप्त हो जाता है, तब यह आरम्भ होता है। यह 17वीं सदी से मनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंदारू दत्तात्रेय ने इस उत्सव का शुभारम्भ किया और भगवान रघुनाथ रथ यात्रा में भी भाग लिया।
समापन समारोह में शामिल होगें सीएम जयराम ठाकुर: राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति अनूठी है। अपनी समृद्ध संस्कृति, रीति रिवाजों और परम्पराओं को संरक्षित रखने के लिए राज्य के लोग प्रशंसा के पात्र हैं। इस संस्कृति, रीति रिवाजों और परम्पराओं को अगली पीढ़ी तक भी ले जाने की आवश्यकता है। कुल्लू दशहरा 14 अक्टूबर को संपन्न होगा। समापन समारोह में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर शामिल होंगे।
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इन मायनों अलग होगा इस साल का कुल्लू दशहरा: कुल्लू दशहरा में पहली बार 35 मिनट की देवधुन बजेगी और पूरा कुल्लू भक्तिमय हो जाएगा। 13 अक्टूबर को इस देवधुन से देवभूमि कुल्लू ध्वनि वाद्य यंत्रों की गूंज से गुंजेगी। यह एक अद्भुत नजारा होगा जब 29 सौ देवी-देवताओं के बंजतरी, गुर, कारदार, पुजारी, पुरोहित भाग लेंगे। हालांकि इससे पूर्व मंडी में 18 सौ लोगों ने एक साथ वाद्य यंत्र बजाए थे लेकिन इस बार इसमें 2900 देवी देवताओं के लोग भाग ले रहे हैं। जिसमें 300 गुर और 300 कारदार, 300 पुजारी और सौ पुरोहित और सैकड़ों बजंतरी भागे लेंगे। 35 मिनट की इस देवधुन के दौरान 10 मिनट शंख ध्वनि, स्वस्ति वाचन, द्वीप प्रज्जवलित किया जाएगा।