वास्तु शास्त्र के अनुसार धातु से बना कछुआ घर में रखने से सुख और समृद्धि आती है। कछुए से संबंधित कुछ टिप्स के बारे में भी आपने सुना होगा। साथ ही ये टिप्स भी आपने सुनी होगी कि धातु से बनी कछुए की मूर्ति यदि दरवाजे के पास रखें, किचन में रखें तो लाभ होगा। बाजार में भी हर प्रकार के धातुओं से बने कछुए उपलब्ध हैं। लोग यह सोचकर इसे खरीदकर अपने घर भी लाते हैं कि घर में रखने पर सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी। आखिर ऐसा क्यों होता है कि कछुआ रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है? वास्तु शास्त्र के मुताबिक इसे जानते हैं।
वास्तु शास्त्र में कछुए को भगवान विष्णु के कच्छप अवतार से जोड़कर देखा गया है। भगवान विष्णु का दूसरा अवतार कूर्म (कछुआ) अवतार माना जाता है। कहते हैं कि समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु कछुए का रूप धारण कर समुद्र मंथन का आधार बने। इसलिए कछुआ को दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए घर में इसे रखने से घर के लोगों को किसी भी काम में स्थिरता बानी रहती है। साथ ही जो बच्चे पढ़ रहे हैं और पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो कछुआ रखने से उनके अंदर भी पढ़ने की लालसा जाग उठती है।
ऐसा माना जाता है कि कछुए से अधिक स्थिरता किसी अन्य जानवर में नहीं होती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो कछुए को घर के दरवाजे पर नहीं रखना चाहिए। इसे किसी पीले वस्त्र पर घर के पूजा स्थल पर रखना शुभ माना गया है। यदि कछुआ पीतल या अष्टधातु का है या मिट्टी का है तभी यह शुभ माना गया है। वास्तु के जानकार यह मानते हैं कि क्रिस्टल का कछुआ शुभ नहीं होता है। इसके अलावा कछुए को पूरब और पश्चिम दिशा में रखना शुभ माना गया है।