Importance Of Panchabali Bhog: वैदिक पंचांंग अनुसार हर साल श्राद्ध पक्ष शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। जो इस साल 29 सितंबर से शुरू हो गए हैं और यह 14 अक्टूबर तक चलेंगे। इस 15 दिनों की अवधि में लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद कर श्राद्ध कर्म करते है। साथ ही पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म किया जाता है। मतलब जिस तिथि को पितर स्वर्गलोक गए थे, उस तिथि को ही ब्राह्राण भोग कराया जाता है। साथ ही दान- दक्षिणा दी जाती है।
वहीं पितृ पक्ष में पंच ग्रास का विशेष महत्व है, इसे पंचबली के नाम से भी जाना जाता है। मतलब पंचबली में ब्राह्मण भोज के अलावा गाय, कुत्ता, कौआ और चीटियों आदि को श्राद्ध का भोजन खिलाया जाता है। मान्यता है कि पंचबली के भोजन से पितरों की आत्मा तृप्त होकर प्रसन्न होती है और व्यक्ति को सभी दोषों से मुक्ति भी मिलती है। वहीं अगर पंचबली नहीं दी जाए तो पितृ नाराज हो जाते हैं, आइए जातने हैं पंचबली का महत्व और लाभ…
क्या है पंचबली और महत्व
पितृ पक्ष में पंचबली के माध्यम से पांच विशेष प्रकार के जीवों को श्राद्ध का बना भोजन कराने का नियम है। आपको बता दें कि पंचबली के लिए सबसे पहला ग्रास या भोजन गाय के लिए निकालने का विधान है, जिसे शास्त्रों में गो बलि के नाम से जाना जाता है। इसके बाद दूसरा ग्रास कुत्ते को निकालना चाहिए, जिसको श्वान बलि कहते हैं, फिर तीसरा ग्रास कौआ, जिसे काक बलि कहा गया है।
वहीं चौथा ग्रास देव बलि होता है, जिसे जल में प्रवाहित कर दें या फिर गाय को दे दें। वहीं अंतिम पांचवा ग्रास चीटियों के लिए सुनसान जगह पर रख देना चाहिए, जिसे पिपीलिकादि बलि कहा गया है। वहीं इसके बाद ही ब्राह्राणों को भोजन भी कराना चाहिए। वहीं इसके बाद ही श्राद्ध का कार्य संपन्न हुआ है ऐसा माना जाता है।
जानिए, पंचबली के लाभ
शास्त्रों के अनुसार पंचबली निकालने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही वह सुख- समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही जिन लोगों की जन्मकुंडली में पितृदोष है, उन लोगों को पंचबली जरूर निकालनी चाहिए। साथ ही पितृ अमावस्या पर पितृ दोष की शांति करानी चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है।
