हस्तरेखा शास्त्र अनुसार किसी व्यक्ति के हाथ को देखकर उसके नेचर और व्यक्तित्व और उसकी आर्थिक स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है। वहीं हाथ में कुछ वलय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे शनि वलय, सूर्य वलय और गुरु वलय, ऐसे में यहां हम बात करने जा रहे हैं शनि वलय के बारे में। आपको बता दें कि शनि मुद्रा होती है, ऐसा व्यक्ति धन- दौलत का त्याग करके सन्यासी बन जाता है। आइए जानते हैं शनि वलय के बारे में और जीवन पर इसका प्रभाव…
ऐसे बनता है हाथ में शनि वलय
हस्तरेखा शास्त्र अनुसार कोई अंगूठी के समान रेखा शनि के पर्वत को घेरती है और जिसका एक सिरा तर्जनी और मध्यमा के बीच में तथा दूसरा सिरा मध्यमा और अनामिका के बीच में जाता है, तो उसे शनि वलय या शनि मुद्रा कहते हैं। ऐसा वलय समान्यतय शुभ नहीं माना जाता है। ये लोग भौतिक सुखों से दूर रहते हैं। साथ ही ये लोग आध्यात्म से जुड़ जाते हैं। ये लोग अच्छे विचारक होते हैंं।
ऐसे लोग बन जाते हैं सन्यासी
जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी मुद्रा होती है, वह व्यक्ति वातरोगी हो सकता है। साथ ही ऐसे लोग धन- दौलत को त्याग कर सन्यासी बन जाता है। मतलब ऐसा व्यक्ति इस संसार का मोह और सुख छोड़कर परलोक को सुधारने की कोशिश में रहता है।
तंत्र और मंत्र साधना में खूब कमाते हैं नाम
ऐसे व्यक्ति तंत्र साधना और मंत्र साधना के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करते हैं। यदि शनि वलय कोई रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श नहीं करती तो वह व्यक्ति अपने उद्देश्यों में सफलता प्राप्त कर लेता है। परन्तु यदि शनि वलय की कोई रेखा भाग्य रेखा को स्पर्श करती हो तो वह व्यक्ति जीवन में कई बार गृहस्थ बनता है।
होते हैं एकांतप्रिय और चिंतनशील
हस्तरेखा शास्त्र जिन लोगों के हाथों में इस प्रकार का वलय होता है, वे लोग निराशा प्रधान व्यक्ति होते हैं। साथ ही उनको जीवन में किसी प्रकार का कोई आनन्द नहीं मिलता। ये लोग एकांतप्रिय और चिंतनशील होते हैं। ये लोग हर परिस्थिति में खुश रहते हैं। साथ ही ये लोग ज्योतिष में भी रूचि रखते हैं।