Kajari Teej 2025: शास्त्रों में कजरी तीज का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि इस महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। यह दिन भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। इसलिए इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस साल कजरी तीज का व्रत 12 अगस्त को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा के समय व्रत कथा को पढ़ना जरूरी माना जाता है। वर्ना पूजा अधूरी मानी जाती है और फल प्राप्त नहीं होता है। आइए जानते हैं व्रत कथा के बारे में…

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कजरी तीज की तिथि

वैदिक पंचांग के मुताबिक भाद्रपक्ष के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 11 अगस्त की सुबह 10.34 बजे होगा। जो 12 अगस्त की सुबह 08.41 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार कजरी तीज 12 अगस्त को मनाई जाएगी।

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04.23 से 05.06 बजे तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02.38 से 03.31 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम 07.03 से 07.25 बजे तक
  • निशिथ काल मुहूर्त- रात 12.05 से 12.48 बजे तक

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कजरी तीज व्रत कथा (Kajari Teej 2025 Vrat Katha)

कजरी तीज व्रत कथा के अनुसार एक गांव में गरीब ब्राह्मण का वास था। उसकी हालत दयनीय थी कि वह दो वक्त का भोजन कर पाता था। ऐसे में एक दिन ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प लिया और अपने पति से व्रत के लिए चने का सत्तू लाने को कहा। यह बात सुनकर ब्राह्मण परेशान हो गया कि आखिर उसके पास इतने पैसे तो है नहीं, फिर वह सत्तू कहां से लेकर आए। ऐसे में पत्नी बोली कि चाहे चोरी करो या फिर डाका डालो, लेकिन मेरे लिए सत्तू लेकर आओ।

ऐसे में ब्राह्मण साहुकार की दुकान पर पहुंचा। जब वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि साहुकार के साथ-साथ उसके सभी नौकर सो रहे थे। ऐसे में ब्राह्मण चुपके से दुकान में चला गया सत्तू लाने लगा। ऐसे में उसकी आहट से हुई, जिससे नौकरों की नींद खुल गई है वह चोर-चोर शोर मचाने लगें। ऐसे में साहुकार की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को देख लिया। उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया। ब्राह्मण ने तब कहा कि वह चोर नहीं है और केवल सवा किलो सत्तू लेकर जा रहा है।

ब्राह्मण ने बताया कि उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत किया है और उसके लिए पूजा सामग्री चाहिए। इसलिए उसने केवल सत्तू लिया है। यह सुनकर साहुकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली, तो उसके पास सही में कुछ नहीं मिला। साहुकार की आंखें नम हो गई। उसने ब्राह्मण से कहा कि अब से उसकी पत्नी को वह बहन मानेगा। इसके बाद साहुकार ने ब्राह्मण को पैसे, मेहंदी, सत्तू सहित सामान देकर अच्छे से विदा किया। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और पति की आयु लंबी होती है।

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