Kaal Bhairav Jayanti 2023: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव भगवान शिव का रौद्र रूप है। इसलिए इनकी पूजा करने से व्यक्ति को हर दुख से छुटकारा मिल जाता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही काल का भय भी समाप्त हो जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इसे कालाष्टमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव का जन्म हुआ था। इसी के कारण इसे काल भैरव जयंती कहा जाता है। काल भैरव जयंती मंगलवार या रविवार के दिन मनाई जाती है, क्योंकि यह दिन इन्हीं को समर्पित होते हैं। काल भैरव जयंती को महाकाल भैरव जयंती या काल भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। जानें इस साल कब है काल भैरव जयंती, शुभ मुहूर्त और महत्व।

कब है काल भैरव जयंती? (Kaal Bhairav Jayanti 2023 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 4 दिसंबर को रात 9 बजकर 59 मिनट से शुरू हो रहा है, जो 6 दिसंबर को सुबह 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त है। ऐसे में काल भैरव जयंती 5 दिसंबर 2023 को मनाया जाएगा।

काल भैरव जयंती 2023 महत्व (Kaal Bhairav Jayanti 2023 Significance)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। इसलिए इनकी जयंती के दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां ही खुशियां बनी रहती हैं। इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। माना जाता है कि अगर जातक के ऊपर काल भैरव जी प्रसन्न हो जाएंगे, तो वह नकारात्मक शक्तियों के अलावा ऊपर बाधा और भूत-प्रेत की जैसी समस्याएं नहीं होती है।

कैसे हुए काल भैरव प्रकट?

कालभैरव जयंती का दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व है। हिंदू कथाओं के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात में बहस छिड़ गई थी कि सबसे श्रेष्ठ कौन है, तो ऐसे में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को कुछ अपशब्द कह दिए थे, जिससे वह अधिक क्रोधित हो गए है। इके बाद भगवान शिव के माथे से भैरव प्रकट हुए। उनका रौद्र रूप देखकर हर कोई डर गया और इसी समय उन्होंने भगवान ब्रह्मा का एक सिर काट दिया, जिससे उनके चार सिर हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उन्हें शांत किया और वह पुन: शिव जी के स्वरूप में वापस आ गए। लेकिन उन्होंने ब्रह्म हत्या कर दी थी। ऐसे में उन्होंने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए काशी की शरण ली और वहीं पर रहकर पापों से मुक्ति पाई।

भगवान भैरव को पापियों को दंड देने के लिए एक छड़ी पकड़े हुए और कुत्ते पर सवारी करते हुए देखा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और सफलता मिलती है। इसके साथ ही कुंडली से शनि और राहु दोष भी समाप्त हो जाता है।

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