इस साल काल भैरव जयंती 27 नवंबर को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की मंदिरों में विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव के इस रूप की उपासना से मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान काल भैरव का जन्म मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। मान्यता है कि भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी रोगों से निजात मिल जाता है।
मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान काल भैरव सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही वह भय और अवसाद का भी नाश करते हैं। पौराणिक कथाओं अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के दिन भगवान शंकर ने भैरव बाबा का अवतार लिया था। इनसे काल भी डरता है इसलिए इन्हें काल भैरव कहा जाता है।
काल भैरव पूजा विधि: भगवान काल भैरव की पूजा काले कपड़े पहनकर करनी चाहिए। आसन भी काले कपड़े का होना चाहिए। पूजा में अक्षत, चंदन, काले तिल, काली उड़द, काले कपड़े, धतुरे के फूल का प्रयोग करना चाहिए। इन्हें नीले फूलों की माला भी अर्पित कर सकते हैं। माना जाता है कि इस दिन काल भैरव को शराब का भोग लगाने से वह प्रसन्न होते हैं। व्रत रखने वालों को काल भैरव जयंती पर काले कुत्ते को अपने हाथों से बना हुआ भोजन कराना चाहिए। क्योंकि काला कुत्ता भैरव का वाहन माना जाता है।
काल भैरव जयंती के दिन भूलकर भी ना करें ये काम: काल भैरव जयंती के दिन कुछ कामों को करना निषेध माना गया है। अगर व्यक्ति काल भैरव जयंती के दिन ये काम करता है तो उनका बुरा समय शुरू हो जाता है।
भूलकर भी ना करें ये काम:
–काल भैरव जयंती के दिन व्यक्ति को बिल्कुल भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि झूठ बोलने से उसके कष्ट और परेशानियां बढ़ जाती हैं।
-गृहस्थ लोगों को इस दिन तामसिक पूजा करनी चाहिए।
-इस दिन कुत्ते, गाय और अन्य जानवरों के साथ हिंसक व्यवहार करने से भगवान काल भैरव रुष्ठ हो जाते हैं।
-कहा जाता है कि काल भैरव की पूजा किसी का अहित करने के लिए नहीं करनी चाहिए।