Krishna Janmashtami 2025 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Mantra: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मथुरा और वृंदावन में अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु यहां आकर कान्हा के जन्मोत्सव के साक्षी बनते हैं। इस दिन कान्हा का विशेष श्रृंगार किया जाता है और माखन-मिश्री से लेकर अनेक प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री के बारे में।
जन्माष्टमी 2025 की तिथि (Shri Krishna Janmashtami 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11:49 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन सोमवार, 16 अगस्त को रात 09:34 बजे होगा। ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 16 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।
जन्माष्टमी 2025 पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Shri Krishna Janmashtami 2025 Shubh Muhurt)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात 12.04 बजे से रात 12.47 तक रहेगा। इस दौरान कान्हा की पूजा करने के लिए आपको करीब 43 मिनट का समय मिलेगा।
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का समय (Shri Krishna Janmashtami 2025 Rohini Nakshatra)
- रोहिणी नक्षत्र आरंभ – 17 अगस्त को सुबह 4 बजकर 38 मिनट से
- रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 18 अगस्त को सुबह 3 बजकर 17 मिनट तक
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन सामग्री (Janmashtami 2025 Puja Samagri List)
- श्रीकृष्ण की मूर्ति
- एक लोटे में जल
- आधा मीटर सफेद कपड़ा
- आधा मीटर लाल कपड़ा
- अपनी योग्यता के अनुसार पंच रत्न
- फूल
- माला
- केसर
- चंदन
- कुमकुम
- 5 यज्ञोपवीत
- अबीर
- गुलाल
- अभ्रक
- हल्दी
- चावल (अक्षत)
- आम के पत्ते
- श्री कृष्ण के लिए वस्त्र
- आभूषण
- धनिया की पंजीरी
- माखन-मिश्री
- तुलसी दल
- मुकुट
- मोर के पंख
- बांसुरी
- सिंहासन
- झुला
- सुपारी
- पान के पत्ते
- लकड़ी की चौकी
- कमलगट्टा
- तुलसी माला
- खड़ी धनिया
- गंगाजल
- शहद
- शकर
- घी
- डंडी के साथ खीरा
- दही
- दूध
- मक्खन
- मौसमी फल
- दीपक
- धूप, अगरबत्ती
- कपूर
- सप्तमृत्तिका
- नैवेद्य या मिष्ठान्न
- छोटी इलायची</li>
- लौंग
- इत्र
- पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते)
- पंचामृत
- तुलसी दल
- बन्दनवार
- ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा)
- श्रीफल (नारियल)
- धान्य (चावल, गेहूं, जौ,ज्वार)
- एक नई थैली में हल्दी की गांठ
- झांकी सजाने के लिए सामान
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की पूजा विधि (Janmashtami 2025 Puja Vidhi)
जन्माष्टमी के दिन प्रातः स्नान-ध्यान के बाद पूजा स्थल को स्वच्छ करें और ईशान कोण में एक चौकी पर पीला या केसरिया कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या लड्डू गोपाल की स्थापना करें। खुद के लिए भी आसन बिछाएं और उस पर बैठकर पहले पवित्र जल से अपने ऊपर, फिर भगवान श्रीकृष्ण पर जल छिड़कें। अब भगवान के बाल स्वरूप का ध्यान करते हुए पूजा की सफलता के लिए प्रार्थना करें। अब भगवान श्रीकृष्ण को एक बड़े पात्र में रखकर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं और स्वच्छ कपड़े से पोंछ दें। फिर पीतांबर वस्त्र, आभूषण और मुकुट पहनाकर उनका सुंदर श्रृंगार करें। माथे पर गोपी चंदन, रोली, हल्दी या केसर का तिलक लगाएं।
इसके बाद उन्हें पुष्प-माला, तुलसी दल और दूर्वा अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में माखन-मिश्री, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें और प्रसाद पर जल फेरकर उन्हें समर्पित करें। पूजा के दौरान श्रीकृष्ण चालीसा, मंत्र या स्तोत्र का पाठ करें। आखिरी में कान्हा की आरती करें और पूजा में हुई भूल चुक के लिए क्षमा मांगें।
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