हिंदू पंचाग के अनुसार गुरुवार 8 फरवरी 2018 को फाल्गुन अष्टमी को जानकी जयंती का पर्व मनाया जाएगा। जानकी देवी का नाम सीता है और उन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। माता सीता की उत्पत्ति भूमि से हुई थी, जिस कारण से उन्हें वसुंधरा के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राजा जनक ने उन्हें अपनी पुत्री के रुप में स्वीकार किया था और बाद में भगवान राम से उनका स्वयंवर हुआ था। 8 फरवरी को शाम 3 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 30 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
जानकी जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद माता जानकी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद चौकी पर सीताराम सहित जानकी, माता सुनयना, कुल पुरोहित शतानंदजी, हल और माता पृथ्वी की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करके उनकी पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले भगवान गणेश और माता अंबिका की पूजा करके माता जानकी का पूजन किया जाता है।
देवी सीता साक्षात भगवती मानी जाती हैं। मान्यता है कि उनका प्राकट्य भूमि से हुआ था। जानकी जयंती सौभाग्य को प्रदान करने वाला दिन माना जाता है। इस दिन माता सीता और भगवान राम का पूजन किया जाता है और व्रत करने की मान्यता है। इस दिन जानकी विवाह प्रसंग का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। श्री जानकी रामाभ्यां नमः मंत्र का 108 बार जाप करना लाभदायक माना जाता है। देवी को पुष्प, वस्त्र, गंध, सिंदूर आदि अर्पित करना लाभदायक माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान भेंट करना शुभ माना जाता है। माता जानकी के ध्यान के लिए इस मंत्र का जाप करना लाभदायक माना जाता है।
माता जानकी का ध्यान-
ताटम मण्डलविभूषितगण्डभागां,
चूडामणिप्रभृतिमण्डनमण्डिताम्।
कौशेयवस्त्रमणिमौक्तिकहारयुक्तां,
ध्यायेद् विदेहतनयां शशिगौरवर्णाम्।।