देवरहा बाबा को लेकर तमाम किवदंतियां हैं। कोई उनको सिद्ध पुरुष मानता था तो कोई चमत्कारिक बाबा। मान्यता है कि वे लोगों के मन की बात बिना बताए ही जान लेते थे। देवरहा बाबा के भक्तों में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वाजपेयी तक शामिल थे। सियासत से लेकर सिनेमा जगत की हस्तियां उनका आशीर्वाद लिया करती थीं। बड़े-बड़े अधिकारी उनके दर्शन को पूरा दिन खड़े रहते थे। आइए जानते हैं देवरहा बाबा से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

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कौन थे देवरहा बाबा?: देवरहा बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में हुआ था। 19 जून 1990 को शरीर त्याग दिया था। उनके भक्त मानते हैं कि वह लगभग 500 साल तक जीवित रहे थे।बताया जाता है कि देवरहा बाबा कभी किसी गाड़ी में बैठकर नहीं चले। वे अपने आश्रम में बने मचान पर ही रहा करते थे।

मान्यता है कि मचान पर कोई प्रसाद नहीं होने के बाद भी वह लोगों को अपने हाथ से प्रसाद वितरित किया करते थे। दावा किया जाता है कि वह जानवरों और पक्षियों की भाषा को भी समझते थे। साथ ही जंगली जानवरों को अपने वश में कर लेते थे। देवरहा बाबा के भक्त बताते हैं कि बाबा पानी पर भी चलते थे।

अमिताभ कोमा में गए दिया ताबीज: साल 1983 में फिल्म कुली की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन बुरी तरह घायल हो गए थे। फाइटिंग सीन शूट करने के दौरान अमिताभ को इतनी गंभीर चोट लग गई कि वे कोमा में चले गए। डॉक्टरों ने उन्हें उन्हें क्लिनिकली डेड घोषित कर दिया।

जब इंदिरा गांधी को जब इस बात का पता चला तो वो बहुत दुखी हुईं। इंदिरा अमिताभ को देखने हॉस्पिटल पहुंची। उन्होंने देवरहा बाबा से सफेद कपड़े में लिपटा एक ताबीज भी मंगाया। यह ताबीज 10 दिनों तक अमिताभ बच्चन के तकिए के नीचे रखा। इसी बीच अमिताभ की तबीयत में सुधार हुआ और स्वस्थ होने के बाद देवरहा बाबा में उनका विश्वास भी बढ़ गया।

राजा भैया मानते हैं देवरहा बाबा को अपना गुरु: यूपी के बाहुबली नेता राजा भैया, देवरहा बाबा को अपना गुरु और मार्गदर्शक बताते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि हम पर गुरुजी पूज्य देवरहा बाबा का आशीर्वाद रहता है। हम आज जिस भी मुकाम पर हैं, वो सिर्फ बाबा के आशीर्वाद के कारण ही है। कुछ भी नया प्रारम्भ करने से पहले उनका आशीर्वाद जरूर लेते हैं।

इंदिरा गांधी चुनाव हारीं तो शरण में पहुंचीं: साल 1977 में जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं, तब वे देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने पहुंची थीं। बताया जाता है कि बाबा ने उन्हें हाथ उठाकर पंजे से आशीर्वाद दिया था। यही वजह थी कि जब इंदिरा ने चुनाव लड़ा तो उन्होंने चुनाव चिन्ह कांग्रेस का पंजा ही तय किया था। साल 1980 में हुए चुनावों में इंदिरा गांधी को बड़ी जीत मिली थी।