Hanuman Jayanti 2024 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Puja Samagri, Mantra, Hanuman Ji Ki Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान श्री राम के परम भक्त श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज देशभर में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा पर ही भगवान शिव के अंशावतार के रूप में माता अंजनी और पिता केसरी के घर में जन्म लिया था। जिस दिन भगवान बजरंगबली का जन्म हुआ था। उस दिन मंगलवार होने के साथ-साथ चित्रा नक्षत्र और वज्र योग होगा। ऐसे ही इस साल भी त्रेता युग जैसे ही शुभ योग बन रहे हैं। आज मंगलवार होने के साथ-साथ कई शुभ योगों में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। जहां वज्र योग आज दिनभर से लेकर 24 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 57 मिनट तक है। इसके साथ ही चित्रा नक्षत्र भी सुबह से लेकर रात 10 बजकर 32 मिनट तक है। बता दें कि कुछ लोग हनुमान जी का अवतरण दिवस छोटी दीपावली के दिन यानी कार्तिक मास को मानते हैं। इसलिए इस दिन भी हनुमान जयंती का पर्व मनाते हैं। आइए जानते हैं हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग, सामग्री, आरती सहित अन्य जानकारी…
बजरंगबली जी श्रीराम के परभक्त माने जाते हैं, इसलिए आपको हनुमान जयंती पर भगवान राम की स्तुति भी करनी चाहिए, इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
सेहत संबंधी समस्या हो तो हनुमान जयंती के दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें, हनुमान जी को सिंदूर, लाल फूल और मिठाई अर्पित करें। हनुमान बाहुक का पाठ करें। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होगी।
हनुमान जयंती के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान के सामने घी या फिर सरसों का दीपक जला दें और 5-11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
व्यापार संबंधी समस्या के लिए हनुमान जयंती पर सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइए।
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं, तो पवनपुत्र का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी में लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाकर भगवान हनुमान की मूर्ति या फिर तस्वीर रखें। इसके बाद जल से आचमन करें। फिर अनामिका अंगुली से उन्हें सिंदूर लगाएं। फिर चमेली का तेल, गुलाब या फिर अन्य लाल फूल चढ़ाने के साथ केसर युक्त चंदन, माला, चोला, जनेऊ, लाल लंगोट आदि चढ़ा दें। फिर एक रूई में इत्र लगाकर चढ़ा दें। इसके बाद भोग में बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू, गुड़-भीगे चने की दाल या अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगाने के साथ तुलसी दल चढ़ाएं। इसके साथ ही पान का बीड़ा चढ़ाएं। फिर जल चढ़ाने के बाद शुद्ध घी या चमेली के तेल का दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाकर मूर्ति के सामने 3 बार घुमाकर आरती करें। इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान मंत्र आदि का पाठ कर लें और अंत में हनुमान आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।
शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी के कुल 108 नाम है। लेकिन इनमें से 12 नाम प्रमुख है। हनुमान जयंती के दिन इन नामों का जाप करने से व्यक्ति के हर एक दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और धन-संपदा की प्राप्ति होती है। इसलिए आप हनुमान, अंजनी पुत्र, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुनसखा, पिंगाक्ष, अमितवक्रिम, उदधिक्रमण, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मण प्राणदाता, दशग्रीवपर्दहा आदि नामों का जाप करें।
हनुमान जी बाल ब्रह्मचारीहै। इसलिए महिलाओं को उनकी मू्र्ति का स्पर्श बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। बल्कि दूर से ही प्रणाम करना चाहिए।
भगवान हनुमान को पंचामृत से स्नान नहीं करना चाहिए। इससे वह रुष्ट हो जाते हैं।
महिलाओं को कभी भी बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
महिलाओं को कभी भी हनुमान जी को सिंदूर या फिर चोला नहीं अर्पित करना चाहिए।
हनुमान जयंती पर बजरंगबली की कृपा पाने के लिए आज 11 पीपल के पत्ते लेकर साफ कपड़े से धो लें। इसके बाद सिंदूर और चमेली के तेल से मिलाकर पत्तों में श्री राम लिख लं। इसके बाद इसका माला बनाकर हनुमान जी को पहना दें। माना जाता है कि ऐसा करने से पवनपुत्र हनुमान जल्द प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज हनुमान जी की पूजा करने के कई मुहूर्त है। इसके साथ ही रात के समय करीब 08 बजकर 14 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में आप बजरंगबली की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
हिंदू शास्त्रों और वास्तु शास्त्र में पंचमुखी हनुमान का विशेष महत्व है। इनके पांच मुख पांच अलग-अलग जगहों पर होते हैं। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इनकी मूर्ति या तस्वीर घर में लगाने से दरिद्रता दूर होने के साथ-साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हं हनुमंते नम:।
नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा।
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल: अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।
आज के दिन रामचरितमान का पाठ करना काफी शुभ माना जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है। भगवान बजरंगबली की कृपा से हर क्षेत्र में सफलता और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
राम का हूं भक्त मैं, रूद्र का अवतार हूंअंजनी का लाल हूं मैं, दुर्जनों का काल हूंसाधुजन के साथ हूं मैं, निर्बलो की आस हूंसद्गुणों का मान हूं मैं, हां मैं वीर हनुमान हूं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पहला चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को और दूसरा और कार्तिक मास के चतुर्दशी तिथि यानी छोटी दीपावली को भी हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस कारण कई लोग चैत्र मास की तो कई लोग कार्तिक मास में हनुमान जयंती का पर्व मना लेते हैं।
हनुमान जयंती के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें सिंदूर काफी पसंद है। इसलिए नारंगी रंग का सिंदूर जरूर लगाएं। आप चाहे, तो चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी की पूरी मूर्ति में लगा सकते है। इस क्रिया को चोला पहनाना कहा जाता है। माना जाता है कि हनुमान जी को चोला पहनाने से वह अति प्रसन्न होते हैं।
लकड़ी की चौकी, बिछाने के लिए लाल कपड़ा, लाल लंगोट, जनेऊ, चोला, जल कलश, सिंदूर, चमेली का तेल, गंगाजल, अक्षत, चंदन, गुलाब के फूलों की माला या फिर कोई अन्य लाल फूल, इत्र, भुने चने, गुड़, नारियल, केला या अन्य फल, चूरमा, पान का बीड़ा, दीपक, धूप अगरबत्ती, कपूर, घी, तुलसी पत्र, पूजा थाली एकत्र कर लें।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास
वीताखिल-विषयेच्छं जातानन्दाश्र पुलकमत्यच्छम् ।
सीतापति दूताद्यं वातात्मजमद्य भावये हृद्यम् ॥१॥
तरुणारुण मुख-कमलं करुणा-रसपूर-पूरितापाङ्गम् ।
सञ्जीवनमाशासे मञ्जुल-महिमानमञ्जना-भाग्यम् ॥२॥
शम्बरवैरि-शरातिगमम्बुजदल-विपुल-लोचनोदारम् ।
कम्बुगलमनिलदिष्टम् बिम्ब-ज्वलितोष्ठमेकमवलम्बे ॥३॥
दूरीकृत-सीतार्तिः प्रकटीकृत-रामवैभव-स्फूर्तिः ।
दारित-दशमुख-कीर्तिः पुरतो मम भातु हनुमतो मूर्तिः ॥४॥
वानर-निकराध्यक्षं दानवकुल-कुमुद-रविकर-सदृशम् ।
दीन-जनावन-दीक्षं पवन तपः पाकपुञ्जमद्राक्षम् ॥५॥
एतत्-एतत्पवन-सुतस्य स्तोत्रं
यः पठति पञ्चरत्नाख्यम् ।
चिरमिह-निखिलान् भोगान् भुङ्क्त्वा
श्रीराम-भक्ति-भाग्-भवति ॥६॥
इति श्रीमच्छंकर-भगवतः
कृतौ हनुमत्-पञ्चरत्नं संपूर्णम् ॥
जय श्री हनुमान जय श्री हनुमान
जय श्री हनुमानमंगल मूर्ति मारुति नंदन
सकल अमंगल मूल निकंदन
पवन तनय संतन हितकारी
हृदय विराजत अवध बिहारी
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
महावीर हनुमान गोसाई
महावीर हनुमान गोसाई
तुम्हरी याद भली
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंग बलि
महावीर हनुमान गोसाई
महावीर हनुमान गोसाई
तुम्हरी याद भली
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
साधू संत के हनुमत प्यारे
भक्त हृदय श्री राम दुलारे
साधू संत के हनुमत प्यारे
भक्त हृदय श्री राम दुलारे
राम रसायन पास तुम्हारे
सदा रहो प्रभु राम दुआरे
तुम्हरी कृपा से हनुमत वीरा
तुम्हरी कृपा से हनुमत वीरा
सगरी विपत्ती टली
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
महावीर हनुमान गोसाई
महावीर हनुमान गोसाई
तुम्हरी याद भली
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
तुम्हरी शरण महा सुखदाई
जय जय जय हनुमान गोसाई
तुम्हरी शरण महा सुखदाई
जय जय जय हनुमान गोसाई
तुम्हरी महिमा तुलसी गाई
जगजननी सीता महामाई
शिव शक्ति की तुम्हरे हृदय
शिव शक्ति की तुम्हरे हृदय
ज्योत महान जगी
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
महावीर हनुमान गोसाई
महावीर हनुमान गोसाई
तुम्हरी याद भली
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय जय बजरंगबलि
जय जय श्री हनुमान
जय जय श्री हनुमान
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाये॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे।
लाये संजिवन प्राण उबारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
पैठि पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाईं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे॥
लंक विध्वंस किये रघुराई।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa)
दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेउ साजै ॥
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जगवंदन ॥
बिद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥८
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचन्द्र के काज सँवारे ॥
लाय सजीवन लखन जियाए । श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
हनुमान जन्मोत्सव के खास मौके पर हनुमान जी की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ जनेऊ अर्पित करना शुभ माना जाता है। इससे वह जल्द प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि हनुमान जी को जनेऊ चढ़ाने से हर बिगड़े काम एक बार फिर से बनने लगते हैं। दुर्भाग्य से मुक्ति मिलने के साथ हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है।
पार ना लगोगे श्री राम के बिना,
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना।
राम ना मिलेगे हनुमान के बिना,
श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।
वेदो ने पुराणो ने कह डाला,
राम जी का साथी बजरंग बाला।
जीये हनुमान नही राम के बिना,
राम भी रहे ना हनुमान के बिना।
जग के जो पालन हारे है,
उन्हे हनुमान बड़े प्यारे है।
कर लो सिफ़ारिश दाम के बिना,
रास्ता ना मिलेगा हनुमान के बिना।
जिनका भरोसा वीर हनुमान,
उनका बिगड़ता नही कोई काम।
लक्खा कहे सुनो हनुमान के बिना,
कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना।
हनुमान जयंती' के अवसर पर प्रयागराज में स्थित लेटे हनुमान मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी। मान्यता है कि संगम में स्नान करने बाद इस मंदिर में आकर हनुमान जी के दर्शन करने मात्र से दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और पुण्य का प्राप्ति होती है। बता दें कि यहां पर पवनपुत्र हनुमान जी की प्रतिमा की लंबाई कुल 20 फीट है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'हनुमान जयंती' के खास अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। जिसका वीडियो सामने आया है।
॥ हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, त महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।