वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब भी कोई ग्रह अस्त और उदय का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। ग्रहों के देवता गुरु बृहस्पति शुभ और मांगलिक कार्यों के कारक हैं, आपको बता दें देवताओं के गुरु बृहस्पति 23 मार्च को उदय होने जा रहे हैं।

दरअसल ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह का संबंध शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, गुरु ज्ञान, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और सुख में वृद्धि से माना जाता है। इसलिए गुरु के उदय होने का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा लेकिन 3 राशियां ऐसीं हैं जिन्हें विशेष लाभ हो सकता है। गुरु उदय होने से इन राशियों को लाभ प्राप्त हो सकता है।

मेष राशि (Aries): मेष राशि में गुरु बृहस्पति 11वें स्थान में उदित होंगे, जिसे आय का स्थान माना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस समय मेष राशि के जातकों के इनकम में बढ़ोतरी होने के साथ ही आय के नए स्त्रोत बन सकते हैं। इसके अलावा व्यापार में धनलाभ हो सकता है। साथ ही स्वास्थ्य उत्तम स्थिति में बना रहेगा।

कन्या राशि (Virgo): गुरु के उदय होने के साथ ही कन्या राशि के लोगों का भी भाग्योदय हो रहा है, इस राशि के जातकों के लिए यह समय काफी शुभ रहने वाला है। इसके साथ ही इनके लिए नए अवसर बनते हुए नजर आ रहे हैं। कन्या राशि के जातकों को नयी चीजें सीखने को मिलेंगी साथ ही शिक्षा से जुड़े हुए लोगों के लिए यह समय बेहद अनुकूल रहने वाला है।

तुला राशि (Libra): तुला राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति सुधरने वाली है। लंबे समय से रुके हुए कार्य पूर्ण हो सकते हैं, और कहीं से अटका हुआ धन मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके अलावा बॉस या बड़ों द्वारा आपके कार्यों की सराहना की जा सकती है। साथ ही इस दौरान कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लें, हानि हो सकती है। सेहत को लेकर सावधान रहें।

लक्षण जो बताते हैं कुंडली में कमजोर है गुरु ग्रह!

बृहस्पति, नवग्रहों में गुरु और मन्त्री है। यह ज्ञान का सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति, धनु और मीन राशि का स्वामी है और कर्क बृहस्पति की अत्यंत प्रिय राशि है। इसके कारण ज्ञान और विद्या का वरदान मिल जाता है। अगर बृहस्पति कुंडली में राजयोग दे तो व्यक्ति महान बन जाता है। वहीं बृहस्पति अशुभ हो तो विद्या और धन प्राप्ति में बाधा आती है।

यदि गुरु कमजोर हो तो जातक को जिंदगी के कई क्षेत्रों में असफलताएं झेलनी पड़ती हैं। कुंडली के ग्रह ही व्‍यक्ति का भाग्‍य तय करते हैं। यदि ग्रह अच्‍छे हों तो उससे संबंधित क्षेत्रों में जातक को शुभ फल मिलते हैं। वहीं ग्रह कमजोर हो तो उससे संबंध‍ित क्षेत्र में व्‍यक्ति मुसीबतें झेलता है।

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है। पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र और संस्कारों को नियंत्रित करता है। ये शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है।