Govardhan Aarti: इस पर्व का सीधा संबंध प्रकृति और मानव से है। गोवर्धन पूजा को अन्न कूट के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये पर्व 5 नवंबर को मनाया जा रहा है। कहते हैं गोवर्धन पूजा से भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गोवर्धन पूजा करने वाले लोगों को गोवर्धन की कथा जरूरी सुननी चाहिए। साथ ही पूजा के समय इस आरती को भी जरूरी करना चाहिए। जिसके बिना ये पूजा अधूरी मानी जाती है।

गोवर्धन आरती (Govardhan Aarti):

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा, और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण। करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गोवर्धन पूजा मुहूर्त: गोवर्धन पूजा का पहला मुहूर्त सुबह 06:36 AM बजे से 08:47 AM बजे तक रहेगा। दूसरा मुहूर्त 03:22 PM से लेकर 05:33 PM बजे तक रहेगा। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 5 नवंबर को 02:44 AM से होगी और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 11:14 PM पर होगी।

क्यों मनाया जाता है गोवर्धन का पर्व: ये त्योहार भगवान श्री कृष्ण द्वारा इन्द्र देव को हराने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूं, चावल, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों का भोजन बनाया जाता है। ये पकवान श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का भी बड़ा महत्व बताया जाता है। मान्यता है कि इनकी परिक्रमा करने से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं।